भीमा कोरेगांव- एल्गर परिषद मामला: स्पेशल एनआईए कोर्ट ने प्रोफेसर शोमा सेन की अंतरिम मेडिकल जमानत याचिका खारिज की
LiveLaw News Network
22 Sept 2021 9:52 AM IST
एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन को अंतरिम मेडिकल जमानत देने से इनकार किया, जिन्हें साल 2018 में भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद जाति हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था।
विशेष न्यायाधीश डीई कोठालीकर ने कहा,
"जेल प्राधिकरण चिकित्सा प्रोटोकॉल का पालन करेगा और यदि आवश्यक हो तो आवेदक (सेन) को उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करेगा।"
सेन ने अपने वकीलों शरीफ शेख और कृतिका अग्रवाल के माध्यम से दायर आवेदन में कहा कि वह उच्च रक्तचाप, हाईपरटेंशन और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, जिससे वे COVID-19 वायरस की चपेट में आ सकती हैं।
वह कुछ लोगों को जेल से रिहा करने के लिए हाई पावर कमेटी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर भरोसा करती है।
एनआईए के विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी ने आवेदन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अन्य आरोपियों द्वारा दायर इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। इसके अलावा, COVID-19 को अब रिलीज के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
शेख ने कहा कि एचपीसी के दिशा-निर्देश जारी हैं, इसलिए वे उचित राहत का दावा करने की हकदार हैं।
इसके बाद विशेष अदालत ने अर्जी खारिज कर दी।
इस बीच, अदालत ने सह-आरोपी शोधकर्ता रोना विल्सन की अंतरिम जमानत तीन दिन के लिए बढ़ा दी है। अगस्त में उनके पिता के निधन के बाद अदालत ने विल्सन की दो सप्ताह के लिए आपातकालीन जमानत की याचिका को स्वीकार कर लिया था।
जेल से देर से छूटने के कारण उन्होंने तीन दिन बढ़ाने की मांग की थी। एनआईए ने उनकी याचिका का विरोध नहीं किया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि विल्सन 27 सितंबर के बजाय 30 सितंबर को वापस जेल जा सकते हैं।
अंत में, अदालत ने आरोपी गौतम नवलखा, हनी बाबू और सुधा भारद्वाज द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें एनआईए द्वारा जमा किए गए ड्राफ्ट आरोपों की एक प्रति मांगी गई थी।
यह मामला एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की घटनाओं से जुड़ा हुआ है। घटना के दिन कोरेगांव की लड़ाई की विजय की 200 वीं वर्षगांठ की स्मृति में दलित संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित किया था। पुणे पुलिस ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम के हुई एल्गार परिषद की बैठक में हिंसा भड़काई गई थी।आरोप लगाया गया कि बैठक का आयोजन प्रतिबंधित माओवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने किया था।
पुलिस ने जून 2018 में जाति विरोधी कार्यकर्ता सुधीर धवले, मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गडलिंग, वन अधिकार अधिनियम कार्यकर्ता महेश राउत, सेवानिवृत्त अंग्रेजी प्रोफेसर शोमा सेन और मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन को गिरफ्तार किया था। बाद में, एक्टिविस्ट-वकील सुधा भारद्वाज, तेलुगु कवि वरवर राव, एक्टिविस्ट अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसाल्विस को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने जून 2018 में गिरफ्तार छह लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट नवंबर 2018 में, दाखिल की थी। फरवरी 2019 में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, अरुण फरेरा और गोंसाल्विस के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया गए थे।
आरोपियों ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उनके उपकरणों पर लगाए गए थे।
यह एनआईए का मामला है कि 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा, जिसमें मुख्य रूप से दलितों पर हमला किया गया था। आगे कहा गया है कि यह एक दिन पहले फ्रंट संगठनों सीपीआई (एम) महाराष्ट्र द्वारा आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम का परिणाम था।