सीतापुर कोर्ट ने कथित हिंदू संतों को 'हेट मोंगर्स' कहने को लेकर ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जमानत देने से इनकार किया

Brij Nandan

8 July 2022 2:39 AM GMT

  • सीतापुर कोर्ट ने कथित हिंदू संतों को हेट मोंगर्स कहने को लेकर ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जमानत देने से इनकार किया

    उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक स्थानीय अदालत ने ऑल्ट न्यूज़ (Alt News) के सह-संस्थापक, मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को हिंदू संतों को 'हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले' कहने के मामले में जमानत देने से इनकार किया।

    दरअसल, जुबैर ने कथित तौर पर 3 हिंदू संतों- यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि को ट्वीट पोस्ट में 'हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले' कहा था।

    न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायाधीश अभिनव श्रीवास्तव ने उन्हें इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया कि मामला गंभीर, संज्ञेय और गैर-जमानती प्रकृति का है, और जुबैर के जमानत पर रिहा होने की स्थिति में, वह उक्त कृत्य को दोहराने और मामले से जुड़े सबूत और गवाह प्रभावित करने की संभावना है।

    आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने विभिन्न संप्रदायों के लोगों के बीच समाज में नफरत फैलाने के उद्देश्य से जानबूझकर उक्त ट्वीट किया। इसी मामले में वह 4 जुलाई 2022 से हिरासत में था।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए, 153ए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मामले में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को पहले ही खारिज कर दिया है।

    प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए जुबैर ने यह दावा करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उन्होंने अपने ट्वीट में किसी समुदाय की धार्मिक आस्था का अपमान करने का प्रयास नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एफ.आई.आर. उनके खिलाफ केवल परोक्ष उद्देश्य से उत्पीड़न के लिए मामला दर्ज किया गया था, इसलिए यह रद्द करने योग्य है।

    जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव- I की खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी और नोट किया कि पूरा मामला केवल एक समयपूर्व चरण में है और पंजीकरण की तारीख पर किए गए कुछ प्रारंभिक प्रयासों को छोड़कर मामले की जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ी है।

    उन्होंने प्राथमिकी रद्द करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाश पीठ के समक्ष दायर याचिका में जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआऱ रद्द करने और गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करने की मांग की थी।

    पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए वकील ने कहा कि प्राथमिकी पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कोई अपराध नहीं है और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुबैर को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था।

    पीठ ने कहा कि मामले को कल सूचीबद्ध किया जा सकता है, जो भारत के चीफ जस्टिस द्वारा असाइनमेंट के अधीन है।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत ने जुबैर को 2018 में किए गए अपने ट्वीट के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत करने और दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एक मामले के संबंध में जमानत देने से इनकार कर दिया था।

    पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने गुरूवार शाम करीब सात बजे यह आदेश सुनाया। मजिस्ट्रेट ने जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:





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