विवाहित भाई की मृत्यु पर बहन अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं कर सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

Shahadat

13 Sep 2023 7:14 AM GMT

  • विवाहित भाई की मृत्यु पर बहन अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं कर सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि बहन को उसके विवाहित भाई की मृत्यु पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्त (Compassionate Appointment) नहीं किया जा सकता है। मृतक बैंगलोर बिजली आपूर्ति कंपनी (बेस्कॉम) में जूनियर लाइन मैन के रूप में कार्यरत था।

    चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा आधार पर नियुक्ति) नियम, 1996 के नियम 2(1)(बी) का उल्लेख किया, जो यह निर्धारित करता है कि इन नियमों के प्रयोजन के लिए 'परिवार' - (i) मृत पुरुष विवाहित सरकारी कर्मचारी के मामले में उसकी विधवा, बेटा और बेटी (अविवाहित/विवाहित/तलाकशुदा/विधवा) जो उस पर निर्भर थे और उसके साथ रह रहे थे।"

    कोर्ट ने कहा कि यह लंबे समय से स्थापित स्थिति रही है कि केवल मृत कर्मचारी के परिवार का सदस्य ही अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए अपना दावा पेश कर सकता है। वह भी उस कर्मचारी पर निर्भरता की पुष्टि करने के लिए सामग्री पेश करके जिसकी मृत्यु हो गई है।

    कोर्ट ने यह भी जोड़ा,

    “बहन का नाम इस परिभाषा में नहीं है, यह स्पष्ट है। अपीलकर्ता की बहन होने के कारण उसे मृतक के परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता। इन नियमों को प्रतिवादी-केपीटीसीएल और प्रतिवादी-बीईएससीओएम द्वारा अपनाया और पालन किया जाता है, जो सरकारी कंपनियां हैं। जैसा कि पूर्ववर्ती कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 और कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(45) के तहत परिभाषित किया गया है।''

    कोर्ट ने दोहराया कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में लागू सार्वजनिक रोजगार में समानता के सामान्य नियम का अपवाद है। इसलिए ऐसी नियुक्ति देने वाले नियमों को सख्ती से समझने की आवश्यकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    “न्यायालय व्याख्या की प्रक्रिया द्वारा वैधानिक परिभाषा की रूपरेखा का विस्तार नहीं कर सकते हैं। जब नियम निर्माता ने इतने सारे शब्दों में व्यक्तियों को किसी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों के रूप में निर्दिष्ट किया है तो हम परिवार की परिभाषा में किसी को जोड़ या हटा नहीं सकते हैं। यदि इसके विपरीत तर्क स्वीकार कर लिया जाता है तो यह नियम को फिर से लिखने जैसा होगा। इसलिए इस याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।''

    तदनुसार, कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

    अपीयरेंस: अपीलकर्ता के लिए एडवोकेट एम सी बसवराजू।

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