Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सेशन जजों को रिटायरमेंट के बाद भी ख़तरा होता है, लेकिन वे हथियार का लाइसेंस नहीं लेते : कलकत्ता हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
28 Jun 2020 3:45 AM GMT
सेशन जजों को रिटायरमेंट के बाद भी ख़तरा होता है, लेकिन वे हथियार का लाइसेंस नहीं लेते : कलकत्ता हाईकोर्ट
x

Calcutta High Court

"ऐसे कई सत्र न्यायाधीश हैं जिनकी जान को वास्तविक ख़तरा है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें निजी हथियार लाइसेंस की ज़रूरत नहीं होती।" कलकता हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा।

हाईकोर्ट की एकल जज की पीठ एक स्थानीय नेता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अदालत से आग्रह किया था कि वह उसे हथियार का लाइसेंस दिलाने का आदेश दे।

पीठ ने कहा,

"...हां, उन्हें निजी सुरक्षा है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनको ख़तरा बना रहता है लेकिन इसके बावजूद रिटायर हुए न्यायिक अधिकारी हथियारों के लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं करते।"

अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील पर ग़ौर किया जिसने कहा कि वह एक ख़ास राजनीतिक पार्टी का है और वह बहुत ही ईमानदार और निष्पक्ष है और उसे जीवन में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अपनी ईमानदारी से उसने कभी भी समझौता नहीं किया और इस वजह से उसकी जान को ख़तरा है क्योंकि उसके बहुत सारे दुश्मन हैं।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि वह व्यवसायी है अपने इलाक़े का वह महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है और एक नागरिक के रूप में उसे राज्य का एक सीमा तक संरक्षण चाहिए ताकि उसकी ज़िंदगी सुरक्षित रहे। इसी वजह से उसने हथियार का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है।

अदालत ने कहा कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता के आवेदन की जांच की और उसे सारे दस्तावेज़ों के साथ नादिया के अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट जनरल के समक्ष पेश होने को कहा यह जानने के लिए उसको कोई ख़तरा है कि नहीं, लेकिन जनरल मजिस्ट्रेट ने 24 फ़रवरी 2020 को अपने आदेश में हथियार का लाइसेंस प्राप्त करने के उसके आवेदन को रद्द कर दिया।

ऐसा लगता है कि अदालत ने इस आवेदन के संदर्भ में निकटस्थ थाने की जांच रिपोर्ट पर ग़ौर किया और फिर लाइसेंस देने से मना कर दिया क्योंकि जांच में पाया गया कि उसकी जान को कोई ख़तरा नहीं है।

राज्य/प्रतिवादी की पैरवी करने वाले वक़ील ने अदालत में कहा कि पुलिस की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि उसे कोई ख़तरा नहीं है और याचिकाकर्ता इलाक़े का एक आम आदमी है और उसे हथियार का लाइसेंस जारी करने की कोई ज़रूरत नहीं है। याचिककर्ता ने कहा था कि वह समाज का एक इज़्ज़तदार व्यक्ति है और उसके पास बहुत ज़्यादा ज़मीन है।

बेंच ने कहा कि उसके पास ज़्यादा ज़मीन है पर इस आधार पर उसे हथियार का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। एक ही आधार है जिस पर ग़ौर किया जा सकता है वह है उस व्यक्ति की जान को कितना ख़तरा है।

अदालत ने कहा,

"ऐसे कई सेशन जज हैं जिनकी जान को वास्तविक ख़तरा है, लेकिन उन्हें निजी हथियार लाइसेंस की ज़रूरत नहीं पड़ती। हां, उनके पास निजी सुरक्षा होती है, लेकिन जब वे रिटायर हो जाते हैं, उनकी जान को ख़तरा बना रहता है, इसके बावजूद वे हथियार का लाइसेंस नहीं लेते।"

अदालत ने यह कहते हुए याचिका ख़ारिज कर दी और कहा कि जो आदेश दिया गया है उसमें कोर्ट को कोई दख़ल देने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उपयुक्त अधिकारी ने ऑफ़िसर इंचार्ज की जांच रिपोर्ट पर ग़ौर किया है।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



Next Story