[ब्रेकिंग] TRP घोटाला मामला: मुंबई सत्र न्यायालय ने पूर्व BARC चीफ पार्थो दासगुप्ता को जमानत देने से किया इनकार

Sparsh Upadhyay

20 Jan 2021 3:26 PM IST

  • [ब्रेकिंग] TRP घोटाला मामला: मुंबई सत्र न्यायालय ने पूर्व BARC चीफ पार्थो दासगुप्ता को जमानत देने से किया इनकार

    Partho Das Gupta

    मुंबई की एक सत्र अदालत ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिन्हें 24 दिसंबर, 2020 को कथित टेलीविजन रेटिंग (TRP) घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था।

    गौरतलब है कि जमानत के लिए उनका आवेदन, मंगलवार को मुंबई पुलिस द्वारा उन्हे जमानत देने के खिलाफ तर्क देने के बाद आदेश के लिए आरक्षित कर लिया गया था। विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच नजदीकियाँ प्रदर्शित करने के लिए कई वाट्सएप चैट पढ़े।

    सप्लीमेंटरी चार्जशीट में उद्धृत एक चैट में गोस्वामी, कथित रूप से दासगुप्ता की ओर से पीएमओ के कार्यालय के साथ मध्यस्थता करने की पेशकश करते हैं, जबकि दूसरे में वे टाइम्स नाउ से आगे बढ़ने के लिए रिपब्लिक की टीआरपी में हेरफेर करने के बारे में बोलते हैं।

    हिरे ने तर्क दिया कि दासगुप्ता, BARC के सीईओ के रूप में अपनी क्षमता में, तटस्थ पार्टी के रूप में होने चाहिए थे और एक चैनल की टीआरपी में वृद्धि, सीधे तौर पर उसके विज्ञापन-राजस्व के आनुपातिक थी। हिरे ने आगे कहा कि अगर उन्हे जमानत दी जाती है तो वह पूर्व BARC सीईओ गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

    आईआईएम कलकत्ता से स्नातक, पार्थो दासगुप्ता, जून 2013 और नवंबर 2019 के बीच ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ("BARC") के सीईओ थे। क्राइम ब्रांच ने उन पर धारा 409, 420 भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाया है।

    अधिवक्ता शार्दुल सिंह और अर्जुन सिंह द्वारा प्रस्तुत दासगुप्ता ने यह तर्क दिया कि उनके पास से बरामद किए जाने के लिए और कुछ नहीं बचा था। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत धारा 65B के अनुसार प्रमाणपत्र द्वारा कथित व्हाट्सएप चैट को प्रमाणित नहीं किया गया था। इसके अलावा, एक ओवरसाइट समिति ने अपनी रिपोर्ट से प्रमाणित किया है कि TRP के साथ मैन्युअल रूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।

    सिंह ने कहा कि किसी के निजी चैट की सबूत के रूप कुछ वैल्यू तो होनी चाहिए। टीआरपी डेटा एकत्र करने के तरीके के बारे में बताते हुए, उन्होंने तर्क दिया कि "व्यूअरशिप डेटा हंसा ग्रुप (शिकायतकर्ता) द्वारा एकत्र किया जाता है, BARC के अलगोरीदम को लागू किया जाता है और TRP डेटा प्रकाशित किया जाता है।"

    इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया है कि चैट के हेरफेर का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने एक निजी रिपोर्ट पर भरोसा जताया है, जिसे हेरफेर करने के लिए फोरेंसिक ऑडिट के रूप में दिखाने की कोशिश की जा रही है। महत्वपूर्ण रूप से सह-आरोपी, जो रिपोर्ट के अनुसार कथित तौर पर सीधे तौर पर हेरफेर में शामिल थे, वह पहले से ही जमानत पर हैं।

    पिछले सप्ताह मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खानचंदानी का नाम लेते हुए टेलीविजन रेटिंग (टीआरपी) मामले में 3,400 पन्नों की पूरक चार्जशीट दायर की; इसमे रोमिल रामगढ़िया और दासगुप्ता, CCO और सीईओ ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) क्रमशः और रिपब्लिक टीवी की सीओओ प्रिया मुखर्जी के नाम भी हैं।

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