योगी आदित्यनाथ के खिलाफ FIR की याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- मामला पुलिस के दायरे से बाहर

Amir Ahmad

15 Sept 2025 3:18 PM IST

  • योगी आदित्यनाथ के खिलाफ FIR की याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- मामला पुलिस के दायरे से बाहर

    उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिला कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा दायर उस याचिका को पिछले सप्ताह खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित रूप से झूठे चुनावी हलफनामे दाखिल करने के लिए FIR दर्ज करने की मांग की थी।

    अमिताभ ठाकुर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(4) के तहत आवेदन दायर किया था। इसमें उन्होंने अदालत से पुलिस को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 176, 177, 181 और 199 के तहत जानबूझकर झूठा बयान देने के लिए FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।

    ठाकुर ने आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ ने 2009, 2014 और 2017 के चुनावी हलफनामों में अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई थी।

    उन्होंने अपनी याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125ए को भी शामिल करने की मांग की थी, जो झूठा हलफनामा दाखिल करने पर दंड का प्रावधान करती है।

    अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने ठाकुर की याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 195 (अब BNSS 2023 की धारा 215) के तहत इन आरोपों पर FIR दर्ज नहीं की जा सकती।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

    "CrPC की धारा 195 के अनुसार आवेदक द्वारा उल्लिखित धाराएं (IPC की धाराएं 176, 177, 181 और 199) उस दायरे में आती हैं, जिसमें किसी भी अपराध का संज्ञान केवल संबंधित अदालत/अधिकारी/लोक सेवक की लिखित शिकायत पर ही लिया जा सकता है। इस प्रकार, उपरोक्त कानूनी प्रावधान पुलिस को आवेदक द्वारा लगाए गए अपराध के संबंध में FIR दर्ज करने से रोकता है।"

    जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए के संबंध में कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मार्च, 2025 के फैसले का हवाला दिया। उस फैसले में कहा गया था कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए और IPC की धारा 176, 177 के तहत अपराध गैर-संज्ञेय हैं। इन अपराधों के संबंध में शिकायत दर्ज करने का अधिकार केवल चुनाव आयोग के पास है।

    इन आधारों पर कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि ठाकुर का मामला CrPC की धारा 195/BNSS की धारा 215 से संबंधित है। इस पर अदालत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकती।

    ठाकुर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर कैंट (2008), इटवा (2004, 2005) और मोहना (2004) में दर्ज FIR से संबंधित कुछ मामलों को छुपाया था, जबकि अन्य मामलों का असंगत रूप से खुलासा या लोप किया गया था।

    उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग को फॉर्म 26 के तहत सौंपे गए विभिन्न हलफनामों में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का सही विवरण नहीं देकर गलत जानकारी दी थी।

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