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सीआरपीसी की धारा 173(8) : मामले में आगे जांच पर ग़ौर करते हुए अदालत आरोपी को सुनने के लिए बाध्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
6 March 2020 7:45 AM GMT
सीआरपीसी की धारा 173(8) : मामले में  आगे जांच पर ग़ौर करते हुए अदालत आरोपी को सुनने के लिए  बाध्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि सीआरपीसी की धारा173(8) के तहत आगे की जांच का आदेश देने से पहले अदालत आरोपी को दोबारा सुनने के लिए बाध्य नहीं है।

वर्तमान मामले में अपीलकर्ता ने एक विशेष आपराधिक आवेदन में अन्य लोगों के ख़िलाफ़ जांच शुरू करने और प्रतिवादी के रूप में इस मामले में शामिल होने की अर्ज़ी दी थी जिसे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में यह मामला उठाया गया कि क्या अपीलकर्ता जो कि सह-अभियुक्तों में शामिल है और जिसके ख़िलाफ़ पहले ही चार्ज शीट दाख़िल की जा चुकी है और सुनवाई जारी है, क्या अदालत उसको सीआरपीसी की धारा173(8) के तहत कार्यवाही में शामिल कर सकती है जिसमें एक अन्य आरोपी श्री भौमिक के ख़िलाफ़ जांच की बात कही जा रही है और जिसके ख़िलाफ़ अभी तक कोई चार्ज शीट दाख़िल नहीं हुई है?

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया और कहा कि अदालत सीआरपीसी की धारा173(8) के तहत आरोपी को सुनने के लिए बाध्य नहीं है।

अदालत ने कहा,

"…श्री भौमिक की अपील पर इस स्थिति में ग़ौर नहीं किया जा सकता है, जो एक सह-आरोपी है, जिसके ख़िलाफ़ चार्ज शीट दाख़िल हो चुकी है और जिसके ख़िलाफ़ सुनवाई चल रही है और उसके ख़िलाफ़ आगे की जांच रोकने के बारे में किसी तरह की अपील नहीं की गई है।…"

अदालत ने इस संदर्भ में श्री भगवान समरधा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1999) 5 SCC 740 के मामले का हवाला भी दिया। इस फ़ैसले में अदालत ने कहा था "…सीआरपीसी की धारा173(8) में ऐसा कुछ नहीं है कि जिस आरोपी के ख़िलाफ़ इस तरह के मामले हैं, अदालत उसको सुनने के लिए बाध्य है…हम मजिस्ट्रेट पर इस तरह का कोई भार नहीं डाल सकते।"

अदालत ने अपील को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसकी राय में हाईकोर्ट ने अपील को ठुकराकर कोई ग़लती नहीं की है जिसमें उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी और एक अन्य आरोपी श्री भौमिक के ख़िलाफ़ जांच शुरू करने की मांग की थी, जिसके ख़िलाफ़ अभी चार्ज शीट भी दाख़िल नहीं की गई है…प्रस्तावित आरोपी श्री भौमिक का इस स्थिति में कोई दख़ल नहीं होगा।

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