COVID-19: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से बाल संरक्षण गृहों में उठाए गए क़दम पर जवाब मांगा

LiveLaw News Network

13 Jun 2020 4:00 AM GMT

  • COVID-19: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से बाल संरक्षण गृहों में उठाए गए क़दम पर जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चेन्नई के रोयपुरम के एक सरकारी बाल आश्रय गृह में 35 बच्चों के कोरोना से संक्रमित पाए जाने पर ग़ौर करते हुए तमिलनाडु राज्य सरकार से इस बारे में स्थिति रिपोर्ट की मांगी है। अदालत ने इस संक्रमण का कारण और आगे इसको फैलने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये गए हैं इस बारे में भी पूछा है।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की पीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों से बच्चों को इस वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है और यह भी पूछा है कि 3 अप्रैल को उसने जो आदेश जारी किया था उसका पालन कैसे हो रहा है।

    इसको देखते हुए अदालत ने यह भी कहा कि वह एक प्रश्नावली देगी और इसे राज्यों की जुवेनाइल जस्टिसेस कमेटी राज्य सरकारों को भेजेगी। इस प्रश्नावली का उत्तर उनसे 30 जून 2020 तक देने को कहा गया है।

    इस प्रश्नावली को अदालत के इस आदेश के साथ रखा गया है और कहा है कि इसे संस्थानों में ऐसे बच्चों की स्थिति की निगरानी करने के लिए तैयार किया गया है जिन्हें COVID-19 के संक्रमण को देखते हुए इलाज और संरक्षण की ज़रूरत है और जो 3 अप्रैल 2020 को दिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आधारित है।

    सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इन प्रश्नावलियों को न्यायमूर्ति रविंद्र भट ने तैयार किया है।

    3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए संरक्षण गृहों, जुवेनाइल और सेवा या रिश्तेदारों के घरों में बच्चों की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों और विभिन्न प्राधिकरणों को निर्देश जारी किया था ताकि उनकी सुरक्षा की जा सके।

    पीठ ने बाल कल्याण समिति, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल अदालतों, बाल कल्याण संस्थान (सीसीआई) और राज्य सरकारों को बच्चों में संक्रमण को रोकने का निर्देश दिया था।

    ये निर्देश मुख्य रूप से इस तरह से हैं :

    बाल कल्याण समितियों को जो क़दम उठाने हैं।

    ऐसे बच्चों को जिन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है, फ़ोन के द्वारा ज़िला बाल संरक्षण समितियों और फ़ॉस्टर केयर और एडॉप्शन कमिटी (एसएफसीएसी) के साथ मिलकर उन बच्चों की निगरानी।

    राज्य स्तर पर सीसीआई में बच्चों और स्टाफ़ के लिए ऑनलाइन हेल्प डेस्क बनाया जाए जो उनको मदद दे सकें और उनके सवालों का उत्तर दे सके।

    जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल अदालतों को जो क़दम उठाने हैं

    जांच के लिए ऑनलाइन वीडियो सेशन आयोजित किए जाएं

    क़ानून के साथ विवाद में फंसे बच्चे, निगरानी केंद्रों में रखे बच्चों को रिहा करने को लेकर जेजेबी उनको ज़मानत देने की दिशा में क़दम उठाएगा।

    मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए इनकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो सकता है।

    सरकार क्या कदम उठा सकती है

    सीसीआई और ज़िला बाल संरक्षण इकाइयों से सम्बद्ध लोगों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि लोग रोटेशन पर काम कर सकें ताकि सीसीआई स्टाफ़ के साथ उनका संपर्क कम हो।

    अपने कर्तव्यों में कोताही करने वालों के ख़िलाफ़ जुवेनाइल जस्टिस मॉडल रूल के नियम 66(1) के तहत कड़ी कार्रवाई करना।

    महामारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए ज़रूरी बजट का आवंटन।

    सीसीआई को निर्देश

    सकारात्मक स्वच्छता वाले व्यवहार को अपनाना, इसका संवर्धन और प्रदर्शन और इनकी निगरानी।

    संस्थानों में बच्चों की नियमित जाँच और हेल्थ रेफेरल व्यवस्था का पालन।


    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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