"डीजीसीए द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट": दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID 19 के इन-फ्लाइट प्रोटोकॉल पर कहा

LiveLaw News Network

17 March 2021 9:08 AM GMT

  • डीजीसीए द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट: दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID 19 के इन-फ्लाइट प्रोटोकॉल पर कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि कोर्ट वाणिज्यिक उड़ानों (Commercial Flights) में यात्रियों द्वारा ठीक से मास्क नहीं पहनने के मुद्दे पर कोर्ट की ओर से लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा उठाए गए कदमों से बेहद संतुष्ट है।

    कोर्ट ने कोर्ट के पूर्व से निर्देश पर डीजीसीए की ओर से उठाए गए कदमों और सुरक्षा उपायों के बारे में बुधवार को आए डीजीसीए के लिखित जवाब पर यह टिप्पणी की।

    न्यायमूर्ति हरी शंकर ने एयर इंडिया की फ्लाइट में कोलकाता से दिल्ली यात्रा करते समय देखा कि ज्यादातर यात्री मास्क पहनने के लिए अनिच्छा दिखा रहे हैं और मास्क से अपने नाक और मुंह को ठीस से नहीं ढंक रहे हैं।

    यह देखते हुए कि इससे साथी यात्रियों को COVID 19 वायरस के खतरे का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए कोर्ट ने पिछली सुनवाई में देश में नागरिक उड्डयन प्राधिकरण और वाणिज्यिक एयरलाइनों को दिशा-निर्देशों का पालन करने और उड़ान के दौरान COVID 19 प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए।

    कोर्ट ने डीजीसीए को निर्देश दिया था कि;

    1. घरेलू उड़ानों में COVID 19 के दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन यात्रियों और इन-फ़्लाइट क्रू द्वारा किया जाए इसके लिए फ्लाइट की मुख्य वेबसाइट पर दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का अलग- अलग फ़ॉन्ट में या ब्लिंकिंग या किसी अन्य उपयुक्त द्वारा दर्शाया जाए।

    2. बिना पूर्व सूचना के उड़ानों में रेन्डम ऑब्जर्वर को भेजने पर विचार करें, ताकि यह जांचा जा सके कि उड़ानों में COVID 19 प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है या नहीं।

    पीठ ने एयरलाइंस को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया कि;

    1. यात्रियों को बोर्डिंग पास के साथ गैर-अनुपालन के उपायों सहित COVID 19 इन-फ्लाइट प्रोटोकॉल के लिखित निर्देश को सौंपा जाए ।

    2. यात्रियों की जिम्मेदारी है कि वे बोर्डिंग से पहले और बोर्डिंग के बाद अपने आपको सैनिटाइज करें।

    3. मौजूदा निर्देश के मुताबिक यात्रियों को हर समय मास्क पहनने की आवश्यकता हैं। डिफ़ॉल्ट की स्थिति में इसे दंडात्मक कार्रवाई के रूप में संशोधित किया जाना चाहिए।

    4. केबिन क्रू द्वारा विमान की समय-समय पर जांच करना चाहिए कि सभी यात्री प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं, विशेष रूप से मास्क पहनने के संबंध में। मास्क को सरकारी निर्देशों के अनुसार पहना जाना चाहिए। सरकारी निर्देशों के अनुसार मास्क इस प्रकार पहनना चाहिए कि नाक और मुंह पूरी तरह से ढंक उठ, न कि केवल मुंह या मुंह के नीचे नहीं पहनना चाहिए।

    5. उड़ान से पहले इस प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए अनिच्छुक यात्रियों को यात्रा नहीं करने दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही यात्री को "नो-फ़्लाई" लिस्ट में स्थायी रूप से या एक निर्धारित पर्याप्त रूप से लंबी अवधि के लिए डाल दिया जाना चाहिए यदि यात्री निर्देशों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद भी अनुपालन करने से इनकार करता है और साथ ही डीजीसीए या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार यात्री पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

    6. सभी दंडीय प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन किया जाना चहिए, बिना किसी छूट के।

    पीठ ने कहा कि "योग्य मामलों में जो अपवाद होना चाहिए, नियम नहीं- एयरलाइन को यात्री को अलग करने के लिए कदम उठाना चाहिए ताकि उसे उड़ान में अन्य यात्रियों से सुरक्षित दूरी पर रखा जा सके।"

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