सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना ने भारतीय न्यायालयों में मामलों की पेंडेंसी कम करने के लिए वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र (Alternative dispute redressal mechanism) के महत्व पर जोर दिया।
जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि विभिन्न वैकल्पिक विवाद निवारण मैकेनिज्म (एडीआर) लाखों लोगों को अपने मुद्दों को सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं और इन तंत्रों का प्रभावी निष्पादन निश्चित रूप से पेंडेंसी को कम कर सकता है। आगे कहा कि, एडीआर तंत्र हितधारक भागीदारी को बढ़ाता है और मुकदमेबाजों के समाधान प्रक्रिया पर नियंत्रण की एक डिग्री की अनुमति देता है।
न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि,
"चूंकि एडीआर एक सहभागी मॉडल के रूप में डिज़ाइन किया गया है, इसलिए इसको अपनाने से अवरोधों को तोड़ा जा सकता है। प्रक्रिया के बाहरी का व्यक्ति होने की जगह अब नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी से वह प्रक्रिया के अंदरूनी भाग का हिस्सा होगा।"
जस्टिस रमना ने मामलों की पेंडेंसी के मुद्दे पर प्रकाश डाला और कहा कि हम बड़ी संख्या में लंबित मामलों को नजरअंदाज नहीं रह सकते। उन्होंने न्यायिक देरी से निपटने के कुछ तरीकों का भी सुझाव दिया जैसे- न्यायिक प्रक्रिया में सुधार और न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और सौहार्दपूर्ण विवाद समाधान विधियों के माध्यम से मौजूदा विवादों को निपटाना इत्यादि।
जस्टिस रमना, प्रथम न्यायमूर्ति जेएस वर्मा मेमोरियल एडीआर और क्लाइंट काउंसलिंग प्रतियोगिता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि न्यायमूर्ति जेएस वर्मा शुरू से पंचनिर्णय, मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से मुद्दों को निपटाने में विश्वास रखते थे और उन्होंने एक कुशल मध्यस्थता प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया था।
जस्टिस रमना ने अंत में एडीआर मैकेनिज्म के माध्यम से मामलों के निपटाने में कानूनी सेवा प्राधिकरणों की अभिन्न भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 और 2020 में मध्यस्थता के माध्यम से 1,32,378 से अधिक मामलों का समाधान किया गया।
जस्टिस रमना ने महामारी के दौरान विधिक सेवा प्राधिकरणों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि,
"महामारी के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए, विधिक सेवा प्राधिकरणों ने नवीन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया और ई-लोक अदालतों और ऑनलाइन मध्यस्थता की शुरुआत की। 78,41,641 से अधिक मामलों का निपटारा किया गया। साल 2019 और 2020 में राष्ट्रीय लोक अदालतों द्वारा 39,41,418 मामलों को मुकदमेबाजी से पूर्व ही निपटा दिया गया।"
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे, उन्होंने न्यायमूर्ति वर्मा के राजस्थान के विशाखा बनाम राज्य के फैसले और एडीआर के प्रति उनकी व्यक्तिगत पसंद पर प्रकाश डाला।
महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एमएआईएमएस) 17-19 मार्च 2021 तक अपने प्रथम न्यायाधीश जेएस वर्मा मेमोरियल एडीआर एंड क्लाइंट काउंसलिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया है। प्रतियोगिता का उद्घाटन समारोह 17 मार्च को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया था। प्रोफेसर डॉ. रजनी मल्होत्रा ढींगरा की पुस्तक 'स्पेसिफिक कॉन्ट्रैक्ट' का भी विमोचन किया गया।