एनबीडीए और एनबीएफ के बीच प्रतिद्वंद्विता में नहीं पड़ सकते, टीवी समाचार चैनलों के लिए सेल्फ रेगुलेटरी सिस्टम को सख्त करना चाहते हैं : सुप्रीम कोर्ट

Sharafat

18 Sep 2023 10:40 AM GMT

  • एनबीडीए और एनबीएफ के बीच प्रतिद्वंद्विता में नहीं पड़ सकते, टीवी समाचार चैनलों के लिए सेल्फ रेगुलेटरी सिस्टम को सख्त करना चाहते हैं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 सितंबर) को मौखिक रूप से कहा कि वह प्रतिद्वंद्वी समाचार मीडिया संगठनों के बीच प्रतिद्वंद्विता में नहीं फंसना चाहता और वह केवल टीवी चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र (Self Regulatory Mechanism को कुछ अधिकार देने के बारे में चिंतित है।

    कोर्ट की यह प्रतिक्रिया तब आई जब न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) ने इस मामले में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया। एनबीएफ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि एनबीएफ एकमात्र संगठन है जिसने आईटी नियम 2021 के अनुसार खुद को रजिस्टर्ड किया है। उन्होंने कहा कि एनबीडीए के पास 2021 नियमों के तहत रजिस्टर्ड नहीं है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम आपके वैचारिक मतभेदों (एनबीडीए और एनबीएफआई) को यहां नहीं सुलझा सकते। हम नहीं चाहते कि यह याचिका प्रतिद्वंद्वी संगठनों के शोरगुल में खो जाए।"

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ एनबीडीए द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मीडिया के लिए स्व-नियामक मैकेनिज्म के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा की गई आलोचनात्मक टिप्पणियों को चुनौती दी गई थी।

    अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिकाओं के एक बैच का फैसला करते हुए जनवरी 2021 में पारित एक फैसले में हाईकोर्ट की टिप्पणियां आईं।

    पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एनबीडीए द्वारा स्थापित स्व-नियामक मैकेनिज्म की अप्रभाविता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) द्वारा लगाए गए दंड का कोई निवारक प्रभाव नहीं है।

    आज एनबीडीए की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने नए दिशानिर्देश लाने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी (एनबीडीएसए के वर्तमान अध्यक्ष) और पूर्व एससी न्यायाधीश जस्टिस आरवी रवींद्रन (पूर्व एनबीडीएसए अध्यक्ष) के साथ परामर्श किया जा रहा है।

    जब जेठमलानी ने दोहराया कि एनबीडीए के पास नियम बनाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह एक रजिस्टर्ड निकाय नहीं है तो सीजेआई ने कहा, " हम आपकी प्रतिद्वंद्विता में फंसना नहीं चाहते... हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि स्व-नियामक सिस्टम मजबूत हो।"

    जेठमलानी ने तर्क दिया कि एनबीएफ (जो याचिका में प्रतिवादी है) मीडिया के लिए स्व-नियामक मैकेनिज्म भी तैयार कर रहा है।

    सीजेआई ने जेठमलानी से कहा कि एनबीएफ भी अपने दिशानिर्देश पीठ के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र होगा।

    सीजेआई ने कहा , "हम उनके (एनबीडीए) नियमों को देखेंगे और फिर आपके (एनबीएफ) को भी देखेंगे।"

    भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत सिस्टम ने न्यायालय की सभी चिंताओं का समाधान किया है। उन्होंने कहा कि 2021 के नियमों में तीन स्तरीय तंत्र की परिकल्पना की गई है, जिसमें पहला स्तर स्व-नियमन स्तर पर संचालित होगा।

    एनबीडीए की ओर से पेश वकील ने तब पीठ को सूचित किया कि केरल हाईकोर्ट ने संगठन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए संगठन के पक्ष में एक अंतरिम आदेश पारित किया है, जो इसे नियमों का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई से बचाता है । जो उसी। एसजी ने फिर कहा कि यूनियन ने अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    न्यायालय ने अंततः दोनों संगठनों को मीडिया के लिए संशोधित स्व-नियामक सिस्टम तैयार करने का समय देते हुए मामले को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

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