मजाकिया होने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) में देखा जा सकता है': मद्रास हाईकोर्ट ने मजाकिया फेसबुक पोस्ट पर दर्ज एफआईआर रद्द की
LiveLaw News Network
21 Dec 2021 3:07 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने सीपीआई (एमएल) के उस पदाधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है, जिसने छुट्टियों की तस्वीरें अपलोड की थीं और उस पर कैप्शन दिया था- , 'शूटिंग प्रैक्टिस के लिए सिरुमलाई की यात्रा।
एफआईआर रद्द करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने 'हंसने के कर्तव्य' और 'मजाकिया होने के अधिकार' पर कुछ दिलचस्प टिप्पणियां कीं।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने 62 वर्षीय आरोपी के खिलाफ एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि वाडीपट्टी पुलिस की ओर से दर्ज किया गया 'राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी' का मामला 'बेतुका और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग' है।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने निर्णय की शुरुआत में कहा,
"जुग सुरैया, बच्ची करकारिया, ईपी उन्नी और जी संपत .. अगर किसी व्यंग्यकार या कार्टूनिस्ट ने इस फैसले को लिखा होता तो वे संविधान के अनुच्छेद 51-ए में उप-खंड (एल) को शामिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण संशोधन का प्रस्ताव देते।.... इसमें काल्पनिक लेखक ने एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा होता- हंसने का कर्तव्य।"
कोर्ट ने कहा कि मजाकिया होने का सहसंबंध अधिकार "संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में देखा जा सकता है"।
यह देखते हुए कि 'मजाकिया होना' और 'दूसरे का मज़ाक उड़ाना' अलग है, अदालत ने अलंकारिक रूप से कहा कि "किस पर हंसें?" यह एक गंभीर प्रश्न है। कोर्ट ने यह भी बताया कि भारत की क्षेत्रीय विविधता की पृष्ठभूमि में यह प्रश्न प्रासंगिक क्यों हो जाता है।
वाडीपट्टी पुलिस ने आरोपी याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी [आपराधिक साजिश], 122 [राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने], और 507 [साजिश द्वारा आपराधिक धमकी] जैसे अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था। वह अपने परिवार के साथ दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए गया था।
अपने फेसबुक पेज पर विवादित कैप्शन के साथ तस्वीरें पोस्ट करने के लिए उन पर धारा 505 (1) (बी) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि भाकपा-माले एक जमीनी संगठन है, जो अब चुनाव लड़ता है।
आदेश में व्यंग्यात्मक टिप्पणी की गई,
'कागजी योद्धाओं को भी यह कल्पना करने का अधिकार है कि वे स्वदेशी चे ग्वेरा हैं…. '
वाडीपट्टी थाने की पुलिस ने आरोपी याचिकाकर्ता को उक्त आरोपों के आधार पर गिरफ्तार कर रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था। हालांकि मजिस्ट्रेट ने स्टेट बनाम नकीरन गोपाल (2019) का हवाला देते हुए रिमांड से इनकार कर दिया था।
मद्रास हाईकोर्ट ने भी रिमांड याचिका को खारिज करने के लिए मजिस्ट्रेट की सराहना की। अदालत ने नोट किया कि पुलिस और अभियोजन हमेशा हिरासत की मांग करेंगे और यह मजिस्ट्रेट पर है कि वह सीआरपीसी की धारा 41 और संविधान के अनुच्छेद 21 के आधार पर ऐसे आवेदनों पर विवेकपूर्ण तरीके से फैसला करे।
टिप्पणियां
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आचरण पर कहा कि उसने एक पारिवारिक यात्रा के दौरान एक सुंदर जगह की तस्वीरें लीं, जिसका इरादा मजाकिया कैप्शन था।
"याचिकाकर्ता के पास से कोई हथियार या प्रतिबंधित सामग्री बरामद नहीं हुई। याचिकाकर्ता का न तो युद्ध करने का इरादा था और न ही उसने इसकी तैयारी के लिए कोई कार्य किया।"
याचिकाकर्ता को धारा 505 (1) (बी) के तहत बुक करने पर अदालत ने कहा कि 'कोई भी उचित और सामान्य व्यक्ति फेसबुक पोस्ट को देखकर हंसा ही होगा'।
अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता के फेसबुक पेज पर पोस्ट करने को यह नहीं कहा जा कि वह राज्य के खिलाफ या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित था।
एफआईआर में आईपीसी की धारा 120 बी को शामिल करने पर अदालत ने कहा कि प्रावधान तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि दो व्यक्तियों की मन की बैठक न हो, जबकि याचिकाकर्ता वर्तमान मामले में एकमात्र आरोपी है।
केस शीर्षक : मथिवानन बनाम पुलिस निरीक्षक और अन्य।
केस नंबर : Crl OP(MD)No.18337 of 2021 and Crl MP(MD)No.10063 of 2021