निजी जानकारी को इंटरनेट से हटाने का अधिकार: कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 मीडिया आउटलेट्स को कथित अपराधों से बरी किए गए दो याचिकाकर्ताओं के नाम प्रदर्शित करने वाले आर्टिकल को अस्थायी रूप से ब्लॉक करने का निर्देश दिया

Brij Nandan

4 Aug 2022 5:19 PM IST

  • निजी जानकारी को इंटरनेट से हटाने का अधिकार: कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 मीडिया आउटलेट्स को कथित अपराधों से बरी किए गए दो याचिकाकर्ताओं के नाम प्रदर्शित करने वाले आर्टिकल को अस्थायी रूप से ब्लॉक करने का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने बुधवार को 17 मीडिया आउटलेट्स को उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले के संबंध में दो याचिकाकर्ताओं के नाम प्रदर्शित करने वाले आर्टिकल, वीडियो और टिप्पणियों को अस्थायी रूप से ब्लॉक करने का निर्देश दिया, जिसके लिए वे बरी हो चुके हैं।

    मीडिया आउटलेट्स में फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, गूगल, याहू और भारतीय कानून शामिल हैं।

    जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की एकल पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कहा,

    "अगली तारीख तक के लिए अंतरिम आदेश के रूप में प्रार्थना की गई। यह अंतरिम सुरक्षा के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2019) 1 एससीसी 1 में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के आलोक में प्रदान किया गया है।"

    याचिकाकर्ताओं पर साल 2014 में भारतीय दंड संहिता की धारा 341, 342, 343, 324, 326, 370, 374, r/w धारा 34 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 23 और बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम की धारा 14 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया था।

    यह दावा किया जाता है कि कई समाचार वेबसाइटों और इंटरनेट आउटलेट्स जैसे सर्च इंजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कथित घटना की रिपोर्ट करने वाले समाचार लेख और वीडियो प्रकाशित और अपलोड किए।

    वर्ष 2018 में याचिकाकर्ताओं को मुकदमे का सामना करने के बाद उनके खिलाफ सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। उन्होंने अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और प्रतिवादियों को समाचार लेखों, वीडियो, टिप्पणियों आदि को हटाने का निर्देश देने की मांग की है। यह दावा करते हुए कि वेबसाइटों पर उपरोक्त के निरंतर प्रकाशन और प्रदर्शन ने याचिकाकर्ताओं को भारी पेशेवर झटका दिया है, उनकी निजता का उल्लंघन किया है। ये आर्टिकल मानसिक पीड़ा और आघात और उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

    याचिका में कहा गया है कि वेबसाइटों पर समाचार लेखों, वीडियो और टिप्पणियों और जमानत आदेश का प्रदर्शन याचिकाकर्ताओं के निजता के अधिकार और पेशे के अधिकार का उल्लंघन है।

    केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जताया गया है, "यह स्थापित कानून है कि याचिकाकर्ताओं को निजता का अधिकार है, जिसमें निजी जानकारी को इंटरनेट से हटाने का अधिकार निहित है।"

    केस टाइटल: एक्सवाईजेड एंड अन्य बनाम भारत संघ एंड अन्य


    Next Story