निजी जानकारी को इंटरनेट सर्च से हटाने का अधिकार- दिल्ली हाईकोर्ट ने Google, Indian Kanoon को एनडीपीएस मामले में बरी किए गए अमेरिकी नागरिक से जुड़े फैसले को सर्च इंजन से हटाने/ब्लॉक करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

25 May 2021 9:45 AM GMT

  • निजी जानकारी को इंटरनेट सर्च से हटाने का अधिकार- दिल्ली हाईकोर्ट ने Google, Indian Kanoon को एनडीपीएस मामले में बरी किए गए अमेरिकी नागरिक से जुड़े फैसले को सर्च इंजन से हटाने/ब्लॉक करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार और लोगों के सूचना के अधिकार और न्यायिक रिकॉर्ड में पारदर्शिता बनाए रखने के सवाल से जुड़े एक मामले में इंडियन कानून (Indian Kannon) को एनडीपीएस मामले में बरी किए गए अमेरिकी नागरिक से जुड़े फैसले को गूगल/याहू आदि सर्च इंजन से हाटने या ब्लॉक करने का निर्देश देकर भारतीय मूल के एक अमेरिकी नागरिक को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।

    न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि,

    "यह स्वीकार किया जाता है कि मामले में याचिकाकर्ता को उसके खिलाफ लगाए गए उक्त आरोपों से बरी कर दिया गया। याचिकाकर्ता अपने सामाजिक जीवन और करियर की संभावनाओं के कारण अपूरणीय पूर्वाग्रह के कारण याचिकाकर्ता को इस मामले में निर्णय के माध्यम से बरी कर दिया गया है। प्रथम दृष्टया इस न्यायालय की राय है कि कानूनी मुद्दे इस न्यायालय द्वारा लंबित हैं, इसलिए याचिकाकर्ता कुछ अंतरिम संरक्षण पाने का हकदार है।"

    याचिकाकर्ता साल 2009 में भारत की आया और उसी समय उसके खिलाफ नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि निचली अदालत ने 30 अप्रैल, 2011 को दिए अपने फैसले में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने अपील पर 29 जनवरी, 2013 के फैसले में याचिकाकर्ता के बरी होने के फैसले को बरकरार रखा।

    याचिकाकर्ता ने संयुक्त राज्य अमेरिका वापस जाने के बाद कानून का अध्ययन किया, जिसमें उसने पाया कि उसे इस तथ्य के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय गूगल सर्च पर उपलब्ध हैं जिससे नियुक्ति करने वाला उसे नौकरी पर ऱखने से पहले ही उसके आचरण को लेकर सवाल खड़ा कर देता है।

    याचिकाकर्ता का यह मामला है कि उसका एक अच्छा अकादमिक रिकॉर्ड होने के बावजूद वह उक्त निर्णय की ऑनलाइन उपलब्धता के कारण अपनी अपेक्षाओं के अनुरूप कोई रोजगार प्राप्त कर पा रहा है।

    Google India Private Ltd., Google LLC, Indian Kanoon, vLex.in और vLez.in को कानूनी नोटिस भेजे गए थे, जिसके बाद इन पोर्टल से उक्त निर्णय को हटा दिया गया था। हालांकि निर्णय को अन्य प्लेटफार्मों से नहीं हटाया गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के निजता के अधिकार के तहत सभी प्रतिवादी प्लेटफार्मों से उक्त निर्णय को हटाने के निर्देश की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की थी।

    कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया कि,

    "यह सवाल कि क्या कोर्ट के आदेश को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हटाया जा सकता है, एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिए एक तरफ याचिकाकर्ता के निजता के अधिकार और दूसरी ओर लोगों के सूचना के अधिकार और न्यायिक रिकॉर्ड में पारदर्शिता संबंधित मामले में दोनों की जांच की आवश्यकता है। इन कानूनी मुद्दों को इस न्यायालय द्वारा तय करना होगा।"

    कोर्ट ने निजता के अधिकार को मान्यता देने वाले केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017) 10 एससीसी 1 मामले पर और साथ ही सुभ्रांशु राउत बनाम ओडिशा राज्य के मामले में 23 नवंबर, 2020 को उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय पर भरोसा जताया। इसमें कोर्ट ने पहलू की जांच की और अंतरराष्ट्रीय कानून सहित निजता के अधिकार में ही किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट सर्च से हटाने का अधिकार (Right to be Forgotten) आता है, इसलिए न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि याचिकाकर्ता कुछ अंतरिम संरक्षण का हकदार है।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि,

    " प्रतिवादी संख्या 2 और 3 को उनके सर्च इंजन से कस्टम बनाम जोरावर सिंह मुंडी मामले में दिनांक 29 जनवरी 2013 के दिए गए आदेश Crl.A.No.14/2013 को हटाने का निर्देश दिया जाता है। प्रतिवादी संख्या 4 यानी Indian Kanoon को सुनवाई की अगली तारीख तक गूगल/याहू आदि जैसे सर्च इंजनों से उक्त निर्णय को एक्सेस से हटाने/ बलॉक करने का निर्देश दिया जाता है। प्रतिवादी नंबर 1 को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।"

    कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख तय की और प्रतिवादियों को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    शीर्षक: जोरावर सिंह मुंडी बनाम भारत संघ और अन्य।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



    Next Story