ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 के तहत रिटायर्ड कर्मचारियों को यूनियन बनाने का अधिकारः मद्रास हाईकोर्ट

Avanish Pathak

30 Jan 2020 9:16 AM GMT

  • ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 के तहत रिटायर्ड कर्मचारियों को यूनियन बनाने का अधिकारः मद्रास हाईकोर्ट

     Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी संस्था के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 के तहत संघ / ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार है।

    फैसला सुनाते हुए जस्टिस एस वैद्यनाथन ने कहा,

    "अथॉरिटी रिटायर्ड कर्मचारियों द्वारा गठित एसोसिएशन को पंजीकृत करने के लिए बाध्य है, जब तक कि पंजीकरण न करने के लिए कोई निषिद्ध आधार न हो। यदि अथॉरिटी यह पाती है कि एसोसिएशन के गठन का उद्देश्य कर्मचारियों के उद्देश्यों का समर्थन करना नहीं है, और अधिनियम, 1926 के तहत निर्धारित की गई शर्तों से भिन्न है, तो अथॉरिटी ऐसे पंजीकरण से इनकार करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इस आधार पर नहीं कि रिटायर्ड कर्मचारियों को एसोसिएशन बनाने का अधिकार नहीं होगा, जिससे ‌सेवारत और सेवान‌िवृत्त कर्मचारियों के बीच भेदभाव हो।

    कोर्ट ने श्रम उपायुक्त के आदेश को रद्द कर दिया, जिन्होंने करूर वैश्य बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन और अन्य लाभों से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए एसोशिएसन बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

    आयुक्त ने कहा था कि जो व्यक्ति रोल पर हैं, केवल वही ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 के तहत एसोसिएशन के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं, दूसरी ओर, अपीलीय-एसोसिएशन ने कहा कि ट्रेड यूनियन्स एक्ट की धारा 2 (जी) का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को, जो रोजगार में था, एसोसिएशन बनाने का अधिकार है।

    याचिकाकर्ता की दलीलों से सहमत होकर हाईकोर्ट ने कहा,

    "अधिनियम, 1926 की धारा 2 (जी) में प्रयुक्त शब्द हैं- नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच विवाद, जिसका अर्थ पिछले कर्मचारी भी है, यानी कि जो कर्मचारी नौकरी में नहीं हैं, भी ट्रेड यूनियन का हिस्‍सा होने के हकदार हैं। इसलिए, अथॉरिटी का ट्रेड यूनियन को पंजीकरण करने से मना करने सही नहीं है और अस्वीकरण का आदेश गलत है।"

    कोर्ट ने कहा,

    "अधिनियम, 1926 के तहत इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है- "व्यक्ति वास्तव में ऐसे उद्योग में लगा है या कार्यरत हैं, जिसके साथ ट्रेड यूनियन जुड़ी हुई है।" इसमें सभी व्यक्ति शामिल हो सकते हैं, भले ही वे सेवा में हों या सेवानिवृत्त हों। जब अधिनियम स्वयं के लिए एक विस्तारित अर्थ/परिभाषा प्रदान करता है, संबंधित अथॉरिटी आवेदन को खारिज़ करने के लिए परिभाषा को संकीर्ण नहीं कर सकती है, क्योंकि यह ट्रेड यूनियन अधिनियम के उद्देश्यों के खिलाफ होगा और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (सी) का भी उल्लंघन होगा। "

    हाईकोर्ट ने अधिनियम की धारा 6 पर भी ध्यान दिया, जिसमें उन नियमों का विवरण हैं, जिन्हें पंजीकरण के समय पालन किया जाना है। कोर्ट ने कहा कि धारा 6 (एफ) को गौर से पढ़ने पर यह तथ्य साबित होता है कि यूनियर का सदस्य या तो एक नियमित कर्मचारी हो सकता है या सेवानिवृत्त कर्मचारी। इसलिए, ट्रेड यूनियन के पंजीकरण के आवेदन को 'यंत्रवत् अस्वीकार' करना में प्रतिवादी का कार्य अरक्षणीय है।

    कोर्ट ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वर्तमान कर्मचारियों के यूनियन के साथ "हाथ मिलाने" की अनुमति नहीं दी जाएगी। सेवारत और सेवान‌िवृत्त कर्मचारियों की समस्‍याओं की प्रकृति अलग-अलग है, ‌इसलिए दोनों एक दूसरे का सहयोग नहीं कर सकते हैं।

    मामले का विवरण:

    केस टाइटल: करूर वैश्य बैंक रिटायरीज़ एसोसिएशन बनाम डिप्टी कमिश्नर ऑफ लेबर I

    केस नं : Civil Misc Appl. No. 2758/2019

    कोरम: जस्टिस एस वैद्यनाथन

    वकील: एडवोकेट बालन हरिदास (अपीलकर्ता के लिए); एडवोकेट एम श्रीचरण रंगराजन (प्रतिवादी के लिए)

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