विकलांगों के लिए पदोन्नति में आरक्षण निषिद्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने दो जजों की बेंच के फैसले की पुष्टि की

LiveLaw News Network

22 Jan 2020 3:30 AM GMT

  • विकलांगों के लिए पदोन्नति में आरक्षण निषिद्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने दो जजों की बेंच के फैसले की पुष्टि की

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं देने का नियम, जिसका आधार इंद्रा स्वाहने मामला रहा है, शारी‌रिक रूप से अशक्त व्यक्तियों (पीडब्‍ल्यूडी) पर लागू नहीं होता है।

    जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दो जजों की बेंच के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि पीडब्ल्यूडी को आरक्षण देने का आधार शारीरिक विकलांगता है, न कि ऐसा कोई मानदंड, जिस पर अनुच्छेद 16 (1) में मनाही है।

    तीन जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे, एक संदर्भ पर विचार कर रही थी, जिसमें राजीव कुमार गुप्ता और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य - (2016) 6 SCALE 417 के मामले में लिए गए एक फैसले पर संदेह किया गया था।

    राजीव गुप्ता मामले में बेंच ने विकलांग व्यक्त‌ियों (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के संदर्भ में कहा था कि विकलांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण का नियम लागू करने पर रोक नहीं है।बेंच ने कहा था कि इंद्रा स्वाहने व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य (1992) Supp 3 एससीसी 215 मामले में दिया गया सिद्घांत पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ है, ये पीडब्ल्यूडी पर लागू नहीं होता है।

    हालांकि 2017 में एक डीव‌िजन बेंच ने, यह देखते हुए कि पीडब्‍ल्यूडी को अवसरों में तरजीह की आवश्यकता है कि न कि पदोन्नति में आरक्षण की, उक्त इस विचार पर संदेह किया था।

    उसी आधार पर, बेंच ने राजीव कुमार गुप्ता के मामले में दिए फैसले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया था।

    राजीव कुमार गुप्ता के मामले में सामने आए विचार का समर्थन करते हुए बेंच ने कहा:

    "हमारा विचार है कि इस कोर्ट का फैसला गलत नहीं हो सकता, जब यह कहा गया है कि इंद्रा स्वाहने का फैसला एक अलग समस्या से जूझता है, इसलिए, उसका अनुकरण नहीं किया जा सकता है। हम यह भी ध्यान दे सकते हैं कि मामले में समीक्षा याचिकाएं दायर की गई थीं और 2013 और 2016 के फैसलों के‌ खिलाफ उन्हें खारिज कर दिया गया।

    नतीजतन, संदर्भ में कहा गया है कि 2013 के फैसले को नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड बनाम संजय कोठारी, सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, 2015 (9) स्केल 611 और राजीव कुमार गुप्ता और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य - (2016) 13 एससीसी 153 मामले के दायरे में स्पष्ट किया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारे बंधी हुई हैं और जिसका सख्ती से पालन आवश्यक है, विशेष रूप से 29 दिसंबर 2005 के कार्यालय ज्ञापन के बावजूद।"

    राजीव कुमार गुप्ता मामले में कोर्ट ने कहाः

    इंद्रा स्वहाने मामले में निर्धारित सिद्धांत तभी लागू होता है जब राज्य पिछड़े वर्ग को रोजगार के मामले में तरजीह देना चाहता है। अनुच्छेद 16 (4), अनुच्छेद 16 (1) के तहत नागरिकों के अन्य वर्गों को अलग तरीके का उपचार (आरक्षण) प्रदान करने से राज्य को रोकता नहीं है, अगर वे ऐसे उपचार के योग्य हैं। हालांकि, कानून के तहत इस तरह के अधिमान्य उपचार, अनुच्छेद 16 (1) के मतों के अनुरूप हों, राज्य अनुच्छेद 16 (1) में वर्णित किसी भी एक कारक, यानि जाति, धर्म आदि को आधार के रूप में नहीं चुन सकता है।

    पीडब्ल्यूडी के लिए आरक्षण प्रदान करने का आधार शारीरिक विकलांगता है और अनुच्छेद 16 (1) के तहत निषिद्ध कोई मापदंड नहीं है। इसलिए, इंद्रा स्वाहने मामले में निर्धारित पदोन्नति में आरक्षण का कोई नियम स्पष्ट रूप से और प्रामाणिक रूप से पीडब्ल्यूडी पर लागू नहीं होता है।

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