गणतंत्र दिवस हिंसा मामला- "राष्ट्रीय ध्वज लेकर कार के ऊपर बैठना प्रथम दृष्टया दिखाता है कि अनियंत्रित भीड़ को उकसाने में उसकी सक्रिय भूमिका थी": दिल्ली कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

31 March 2021 10:15 AM GMT

  • गणतंत्र दिवस हिंसा मामला- राष्ट्रीय ध्वज लेकर कार के ऊपर बैठना प्रथम दृष्टया दिखाता है कि अनियंत्रित भीड़ को उकसाने में उसकी सक्रिय भूमिका थी: दिल्ली कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

    दिल्ली की एक अदालत ने गणतंत्र दिवस हिंसा मामले से संबंधित एक आरोपी को यह देखते हुए जमानत देने से इनकार किया कि आरोपी उस अनियंत्रित भीड़ का एक सक्रिय सदस्य था जिसने तीन क्षेत्रों में पुलिस बैरिकेड्स को तोड़कर निर्धारित रूट को डायवर्ट किया और जबरन लाल किला में प्रवेश करके पुलिस पर हमला किया और इसके साथ ही पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया था।

    आवेदक ने कहा कि उसने ट्रैक्टर रैली के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था और जैसा कि तस्वीरों में देखा जा सकता है कि वह हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर अपनी कार के ऊपर बैठा है। इसके साथ ही आवेदक ने कहा कि इस तस्वीर में भारतीय होने पर गर्व महसूस हो रहा है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चारू अग्रवाल ने यह देखते हुए आरोपी धर्मेंद्र सिंह हरमन को जमानत देने से इनकार किया कि,

    " आरोपी उस अनियंत्रित भीड़ का एक सक्रिय सदस्य था जिसने तीन क्षेत्रों में पुलिस बैरिकेड्स को तोड़कर निर्धारित रूट को डायवर्ट किया और जबरन लाल किला में प्रवेश करके पुलिस पर हमला किया और इसके साथ ही पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। अभियोजन पक्ष की ओर से जारी की गई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि वह हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर अपनी कार के ऊपर बैठा है और प्रथम दृष्टया दिखता है कि अनियंत्रित भीड़ को उकसाने में उसकी सक्रिय भूमिका थी।"

    आरोपी धर्मेंद्र सिंह हरमन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 152, 186, 269, 279, 353, 332, 307, 308, 395, 397, 427, 188, 120B और 34 और आर्म्स एक्ट 25, 27, 54 और 59 और लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 और प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम की धारा 30 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

    आवेदक द्वारा प्रस्तुत किया गया कि कथित अपराध में उसकी कोई विशिष्ट भूमिका नहीं थी। यह भी प्रस्तुत किया गया कि उसके खिलाफ अभियोजन पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग तोड़ने से संबंधित मामला उठाया गया है और इसके मद्देनजर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 का मामला बनता है जो कि एक जमानती अपराध है।

    आवेदक ने यह तर्क दिया कि वह न तो भड़काने वाला, न ही आंदोलनकारी था और आगे कहा कि लाल किले में हुई हिंसा या कथित अपराध में उसकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी।

    दूसरी ओर अतिरिक्त लोक अभियोजक वीरेंद्र सिंह ने राज्य की ओर से दलील दी कि चूंकि आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोप राष्ट्रीय मुद्दे से जुड़े होने के कारण बहुत गंभीर और संवेदनशील हैं, इसलिए मामले में न्यायालय द्वारा जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

    एपीपी द्वारा यह भी प्रस्तुत किया गया कि अपराध में आरोपी की सक्रिय भूमिका थी क्योंकि वह भड़काने वाले गैरकानूनी सभा और आंदोलनकारी लोगों में से एक था। उक्त तस्वीरों का हवाला देते हुए एपीपी ने तर्क दिया कि आवेदक हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर अपनी कार के ऊपर बैठा है और उसकी कार के पीछे और आसपास अन्य ट्रैक्टर खड़े हैं।

    कोर्ट ने देखा कि प्रस्तुत किए गए सबूतों के आधार पर आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया दिखता है कि अनियंत्रित भीड़ को उकसाने में उसकी सक्रिय भूमिका थी।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "जांच प्रारंभिक स्तर पर है और इसलिए संभावना है कि यदि आवेदक जमानत दी जाती है तो वह जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है और जमानत के लिए कोई आधार नहीं है। इसलिए आवेदन को खारिज कर दिया गया।"

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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