गणतंत्र दिवस हिंसा मामला- "आरोपी की मौजूदगी हिरासत में बने रहने का कारण नहीं हो सकती": दिल्ली कोर्ट ने आरोपी को जमानत दी
LiveLaw News Network
31 March 2021 12:35 PM IST
दिल्ली की एक अदालत ने गणतंत्र दिवस पर किसान आंदोलन में आयोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के मामले में आकाशप्रीत सिंह को यह देखते हुए जमानत दी कि आरोपी द्वारा लाल किले की दीवार पर चढ़ने और उसकी वहां मौजूदगी हिरासत में बने रहने का कारण नहीं हो सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चारू अग्रवाल ने यह देखते हुए जमानत दी कि इस मामले में आरोपी की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और इसलिए पीठ ने आवेदक को 25,000 रूपये के एक निजी बांड भरने और इतनी ही राशि का एक जमानदार पेश करने की शर्त पर जमानत देने का फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि,
"वर्तमान में अभियोजन पक्ष के साथ आवेदक के खिलाफ एकमात्र सबूत घटनास्थल पर उसकी तस्वीरें हैं। इस तस्वीर में वह लाल किले की दीवार पर चढ़ा हुआ दिख रहा है। पुलिस कर्मियों को भड़काने या हमलावर के रूप में कोई सक्रिय भूमिका जैसे कथित अपराध आवेदक द्वारा नहीं किए गए हैं। मामले के इस स्तर पर आरोपी द्वारा लाल किले की दीवार पर चढ़ने और उसकी वहां मौजूदगी हिरासत में बने रहने का कारण नहीं हो सकती क्योंकि वह 03.02.2021 से ही हिरासत में है। "
आकाशप्रीत सिंह को 3 फरवरी 2021 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307, 308, 395, 397, 427, 188, 120B और 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27, 54 और 59 और लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 और प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम की धारा 30 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
आवेदक का मामला
आकाशप्रीत सिंह ने कहा कि कथित अपराध में उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं है और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके अलावा यह प्रस्तुत किया गया कि अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, आवेदक केवल लाल किले पर मौजूद था और दीवार पर चढ़ा था। इसलिए लाल किले के पास उसकी मौजूदगी और दीवार पर चढ़ने पर उसे गैरकानूनी सभा का सदस्य नहीं माना जा सकता है।
उक्त सबमिशन करते समय उस्मानगानी @ भूरा अब्दुल गफ़र और अन्य बनाम गुजरात (2020) 12 एससीसी 503 मामले में सुनाए गए फैसले पर भरोसा जताया गया। इसमें अदालत ने अपराध स्थल पर अभियुक्तों की उपस्थिति को गैरकानूनी सभा का सदस्य नहीं माना था।
आगे प्रस्तुत किया गया कि आकाशप्रीत सिंह वास्तव में अपराध का शिकार हुआ है क्योंकि सिंह घटनास्थल के पास लोगों को पानी देकर लोगों की सेवा कर रहा था तभी उसे बन्दूक से चोट आई थी।
अभियोजन पक्ष का मामला
दूसरी ओर अभियोजन पक्ष का यह मामला कि चूंकि आरोपी अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस बैरिकेड्स को तोड़कर जबरन लाल किले में घुस आया और प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर हमला किया गया और पुलिस के वाहनों को नुकसान पहुंचा गया। इसलिए सिंह को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
तर्कों की पुष्टि के लिए लाल किले में सिंह की मौजूदगी और पीछे स्थित दीवार पर चढ़ने की तस्वीरें रिकॉर्ड पर रखा गया था। आगे कहा गया था कि चूंकि जांच एक प्रारंभिक चरण में है, इसलिए उक्त तस्वीरें अपराध में उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हैं।
कोर्ट का अवलोकन
कोर्ट ने आकाशप्रीत सिंह के खिलाफ अभियोजन पक्ष के पास उपलब्ध तस्वीर के रूप में एकमात्र सबूत को देखते हुए कहा कि 3 फरवरी 2021 से न्यायिक हिरासत में होने की स्थिति में उसके द्वारा लाल किले की दीवार पर चढ़ने और उसकी वहां मौजूदगी हिरासत में बने रहने का कारण नहीं हो सकती है।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि,
" आकाशप्रीत सिंह की जांच पहले ही पूरी की जा चुकी है। इसके साथ ही जांच अधिकारी द्वारा उसके मेडिकल दस्तावेजों की पहले ही जांच की जा चुकी है जो वास्तविक पाए गए हैं। पूरे तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आवेदक को 25,000 रूपये के एक निजी बांड भरने और इतनी ही राशि का एक जमानदार पेश करने की शर्त पर संबंधित एलडी एमएम/ ड्यूटी एमएम / लिंक एमएम की संतुष्टि पर जमानत मंजूर की जाए।"