'नौकरी से हटाना यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने का आधार नहीं बन सकता': कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोस्ट मास्टर के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न का केस खारिज किया

Manisha Khatri

5 Dec 2022 3:00 PM GMT

  • नौकरी से हटाना यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने का आधार नहीं बन सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोस्ट मास्टर के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न का केस खारिज किया

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक पोस्ट मास्टर के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया है। पोस्ट मास्टर पर पुलिस ने 2018 में एक अस्थायी ग्रुप-डी कर्मचारी द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था।

    जस्टिस के. नटराजन की पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (ए) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया।

    पीठ ने कहा, ''सिर्फ पोस्ट ऑफिस के प्रभारी अधिकारी ने कर्मचारी को सेवा से हटा दिया, यह खुद शिकायत दर्ज करने और पीड़िता के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर उन्हें अदालत में घसीटने का आधार नहीं हो सकता है।''

    केस का विवरण

    महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसकी मां बसवनगुडी डाकघर में एक अस्थायी कर्मचारी के रूप में काम करती थी, चूंकि वह अस्वस्थ थी, इसलिए शिकायतकर्ता ने उसकी जगह काम करना शुरू कर दिया।

    उसने आरोप लगाया कि आरोपी यह कहते हुए उसका अपमान करता था कि वह ठीक से काम नहीं कर रही है और उस पर काम करने के लिए जोर देता था और साथ ही उसे काम से निकालने की धमकी दे रहा था। उसने बताया कि शिकायतकर्ता के माफी मांगने के बावजूद आरोपी उसे काम से निकालने की धमकी देता रहा। उसने कथित तौर पर छत से कूदकर आत्महत्या करने का भी प्रयास किया लेकिन कार्यालय के कर्मचारी ''उसे वापस ले आए।''

    शिकायत में आगे आरोप लगाया गया कि उसने उससे ''यौन संबंध'' बनाने की मांग की, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। हालांकि, उसने कहा कि एक दिन, आरोपी उसे अपनी कार में एक सार्वजनिक पार्क में ले गया और उसके साथ यौन संबंध बनाने का प्रयास किया। तभी किसी ने आकर आरोपी को पकड़ लिया और शिकायतकर्ता मौके से चली गई। इसके बाद शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज करायी।

    निष्कर्ष

    रिकॉर्ड देखने पर, अदालत ने कहा कि पीड़िता द्वारा एक विशिष्ट आरोप लगाया गया है कि आरोपी एक बार उसे एक सार्वजनिक पार्क में ले गया और उस समय उसके साथ ''यौन संबंध'' बनाने की कोशिश की लेकिन किसी व्यक्ति ने उसे आकर पकड़ लिया और वह मौके से चली गई।

    पीठ ने कहा, ''पुलिस ने 8वें माइल स्थित उस सार्वजनिक पार्क में जाकर यह देखने के लिए मामले की जांच नहीं की थी कि उक्त पार्क वहां है या नहीं और न ही यह जांच की गई कि वहां कोई सीसीटीवी लगा है या नहीं? न ही यह जांचने के लिए सीसीटीवी फुटेज प्राप्त की गई कि आरोपी नंबर 1 और पीड़िता वास्तव में पार्क गए थे या नहीं?''

    इसके अलावा पीठ ने कहा, ''मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़िता के बयान दर्ज करवाने और उसकी मां के बयान दर्ज करने के अलावा जांच अधिकारी द्वारा किसी भी गवाह के बयान दर्ज नहीं किए गए।''

    अदालत ने कहा, ''उपर्युक्त के अवलोकन पर, अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपों को आकर्षित करने के लिए कोई सामग्री पेश नहीं गई है। पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप को साबित करने के लिए किसी अन्य गवाह का बयान या कोई सामग्री भी पेश नहीं की गई। यहां तक कि शिकायत में आरोपी नंबर 1 और 2 द्वारा यौन शोषण करने के संबंध में आईपीसी की धारा 354 (1) भी आकर्षित नहीं होती है। इस तरह के मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं है।''

    केस टाइटल-राधाकृष्णन उर्फ के.राधाकृष्ण व अन्य बनाम (कर्नाटक राज्य)

    केस नंबर- आपराधिक याचिका संख्या- 8277/2021

    साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (केएआर) 499

    आदेश की तिथि-4 नवंबर, 2022

    प्रतिनिधित्व- याचिकाकार्ताओं के लिए एडवोकेट अफ्रुज पाशा, एडवोकेट राजेश एस आर

    आर 1/राज्य के लिए एचसीपीजी बीजे रोहित

    आर 2 के लिए एडवोकेट राजशेखर.के

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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