एक जनहित याचिका के ज‌रिए एफआईआर/आपराधिक कार्यवाही के मामले में राहत नहीं दी जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

28 Oct 2021 11:20 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाकर उसे खारिज कर दिया। याचिका में जेलों में बंद विदेशी नागरिकों की स्टेटस रिपोर्ट और उनके निर्वासन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी।

    चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने वी आर साथ की याचिका को खारिज करते हुए कहा, "यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध दर्ज किया जाता है, तो मामले के तथ्यों की सराहना किए बिना राहत नहीं दी जा सकती है। इस रिट याचिका को एक जनहित याचिका के रूप में दायर किया गया है, इसलिए उन विदेशी नागरिकों ‌के खिलाफ, जिनके खिलाफ अपराध दर्ज किए गए हैं और जो कोर्ट की कानूनी हिरासत में, जिस राहत की प्रार्थना की गई है वह यह कोर्ट नहीं दे सकती।"

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट दीपक प्रकाश ने विशेष रूप से हिरासत में बंद दो नाइजीरियाई नागरिकों की रिहाई की मांग की थी। उनका कहना था कि भारतीय संसाधनों का इस्तेमाल अपने नागरिकों के सुधार के लिए किया जाना चाहिए, न कि विदेशी नागरिकों के लिए। बल्कि उन्हें वापस प्रत्यर्पित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।

    अदालत ने कहा कि उक्त व्यक्तियों को आजीवन कारावास तक दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और मामले में एक अपील भी लंबित है। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एक एफआईआर या आपराधिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा, "यदि किसी विदेशी नागरिक ने आईपीसी या किसी अन्य भारतीय कानून के तहत कोई अपराध किया है, तो भारतीय कानूनों के अनुसार ऐसे विदेशी नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी या आपराधिक कार्यवाही होना तय है ... जब और जैसे ही जेल में बंद कोई व्यक्ति अदालत में आता है, उनके मामले के तथ्यों को देखते हुए, राहत दी जा सकती है। इसे देखते हुए, हमें इस याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है।"

    अपने आदेश में पीठ ने यह भी कहा कि "तथाकथित जनहित याचिका" को किसी विशेष मकसद के लिए दायर किया गया है। इस प्रकार कोर्ट ने याचिका पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे चार सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के पास जमा करना होगा।

    केस टाइटल: वी आर साथ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

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