प्रथम दृष्टया लगता है कि सहमति से संबंध बने: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुवक्किल से बलात्कार के आरोपी विवाहित वकील को अग्रिम जमानत दी

Sharafat

5 Aug 2023 7:11 AM GMT

  • प्रथम दृष्टया लगता है कि सहमति से संबंध बने: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुवक्किल से बलात्कार के आरोपी विवाहित वकील को अग्रिम जमानत दी

    Bombay High Court 

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने मुवक्किल से बलात्कार के आरोपी एक वकील को अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने देखा कि आरोपी के विवाहित होने के बावजूद यह संबंध सहमति से बना प्रतीत होता है।

    जबकि पीड़िता ने दावा किया कि उसे नहीं पता था कि जिस वकील से वह परामर्श ले रही है और जिससे वह प्यार करती थी वह शादीशुदा है।अदालत ने कहा कि महिला उसकी शादी के बारे में जानने के बावजूद वकील के संपर्क में थी।

    जस्टिस अनुजा पाभुदेसाई की बेंच ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत एक आवेदन पर वकील को अग्रिम जमानत दे दी।

    बेंच ने कहा, “ रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री विशेष रूप से व्हाट्सएप चैट, मैसेज, प्रथम दृष्टया संकेत देते हैं कि शिकायतकर्ता महिला न केवल घटना की कथित तारीख के बाद, बल्कि एफआईआर दर्ज करने के बाद भी आवेदक के साथ लगातार संपर्क में थी। यानी यह जानने के बाद भी कि वह शादीशुदा है, महिला आवेदक के संपर्क में थी, इसलिए, प्रथम दृष्टया, यह संबंध सहमति से बना प्रतीत होता है। उपरोक्त के मद्देनजर, हिरासत में पूछताछ का कोई मामला नहीं बनता है। ''

    आवेदक बबलू शेख पर मालवणी पुलिस ने 23 मार्च, 2023 को आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया था।

    दोनों जनवरी 2023 में किसी समय परिचित हुए। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि शेख कुछ मुकदमेबाजी में उसकी मदद कर रहा था। महिला ने स्पष्ट रूप से उसे बताया कि वह अविवाहित है और उससे शादी करने का वादा किया।

    अपनी शिकायत में उसने दावा किया कि उसने अपने माता-पिता के साथ उसके घर आने और उनकी शादी पर चर्चा करने का वादा किया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि वह उस दिन अकेले आया था और उसके साथ जबरदस्ती संभोग किया। एक अन्य तारीख पर शेख ने कथित तौर पर उसे अपनी शादी का रजिट्रेशन कराने के लिए बांद्रा कोर्ट में भी बुलाया। उसने दावा किया, लेकिन वह उस तारीख पर नहीं आया औरगोलमोल जवाब देने लगा।

    अदालत ने कहा, " अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि आवेदक, जो एक विवाहित व्यक्ति है, उसने शादी के झूठे वादे पर उसकी इच्छा के विरुद्ध और उसकी सहमति के बिना शिकायतकर्ता के साथ यौन संबंध बनाए।"

    अभियुक्तों के वकील करीम पठान ने तर्क दिया कि अदालत का दरवाजा खटखटाने में 18 दिन की देरी हुई। इसके अलावा, उन्होंने महिला द्वारा 'बलात्कार' किए जाने की बात कहने के ठीक पांच मिनट बाद ली गई सेल्फी की एक प्रति भी जमा की।

    इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जिस तारीख पर उसने बांद्रा कोर्ट में इंतजार करने का दावा किया था, वह वास्तव में कुर्ला कोर्ट में थी, जहां उसे एक अलग मामले में आरोपी के रूप में पेश किया गया था।

    अदालत ने कहा कि

    " रिकॉर्ड से पता चलता है कि आवेदक और शिकायतकर्ता दोनों वयस्क, एक-दूसरे से परिचित थे। आरोपी द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ प्रथम दृष्टया सहमति से संबंध दर्शाते हैं।"

    अदालत ने आवेदक को गिरफ्तारी की स्थिति में 25000 रुपये की राशि के जमानत बांड प्रस्तुत करने पर और इतनी ही राशि की एक या दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर ज़मानत मंज़ूर की।

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