देरी के आधार पर जीएसटी रिफंड आवेदन की अस्वीकृति अवैध: इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
16 March 2022 12:45 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत रिफंड आवेदन को केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा,
"हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता के रिफंड के आवेदन को प्रतिवादी केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं कर सकता। अगर वह ऐसा करता है तो वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर रहा है।"
याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने अप्रैल से जून, 2018, जुलाई से सितंबर, 2018 और अक्टूबर से दिसंबर, 2018 तक की कर अवधि के लिए रिफंड आवेदन दायर किया। मगर इसे विभाग ने खारिज कर दिया।
विभाग द्वारा पारित आदेश के अनुसार, सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54(1) के तहत रिफंड आवेदन दाखिल करने की सीमा की अवधि सितंबर, 2020 में समाप्त हो गई। यहां तक कि विभाग द्वारा बढ़ाई गई अवधि भी 30.11.2020 को समाप्त हो गई है। याचिकाकर्ता ने 31 मार्च, 2021 को रिफंड आवेदन दाखिल किया, जिसे देरी के आधार पर खारिज कर दिया गया।
15.03.2020 और 28.02.2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित किया गया कि सीमा के उद्देश्यों के लिए बाहर रखा जाए जैसा कि किसी भी सामान्य या विशेष कानून के तहत सभी न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संबंध में स्वत: संज्ञान रिट याचिका में निर्धारित किया जा सकता है। रिफंड आवेदन को विभाग ने मनमाने ढंग से खारिज किया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की अवधि सभी न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संबंध में किसी भी सामान्य या विशेष कानून के तहत निर्धारित सीमा के प्रयोजनों के लिए बाहर रखी जाएगी। नतीजतन, 03.10.2021 को शेष सीमा अवधि, यदि कोई हो, 01.03.2022 से उपलब्ध हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में आगे कहा कि जिन मामलों में सीमा 15.03.2020 और 28.02.2022 के बीच की अवधि के दौरान समाप्त हो गई होगी, शेष सीमा की वास्तविक शेष अवधि के बावजूद, सभी व्यक्तियों की 01.03.2022 से 90 दिनों की सीमा अवधि होगी। यदि 01.03.2022 से प्रभावी शेष सीमा की वास्तविक शेष अवधि 90 दिनों से अधिक है, तो वह लंबी अवधि लागू होगी।
केस शीर्षक: गामा गाना लिमिटेड बनाम भारत संघ
उद्धरण: 2022 का रिट टैक्स नंबर 173
याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट निशांत मिश्रा
प्रतिवादी के लिए वकील: ए.एस.जी.आई., सी.एस.सी., धनंजय अवस्थी
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