जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम | धारा 15 के तहत प्रमाणपत्र में बदलाव करने का अधिकार रजिस्ट्रार के पास मौजूद: गुजरात हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

18 April 2022 4:20 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत याचिकाकर्ता के बेटे की जन्मतिथि में आवश्यक सुधार करके नया जन्म प्रमाण पत्र जारी किये जाने का रजिस्ट्रार को निर्देश देने संबंधी रिट याचिका स्वीकार कर ली है।

    न्यायमूर्ति वैभवी डी नानावती की खंडपीठ ने आदेश दिया,

    "प्रतिवादी संख्या 2 को याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर विचार करने के बाद उनके आवेदन/प्रतिवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है। प्रतिवादी संख्या 2 को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर कानून के दायरे में सत्यापन के बाद आवश्यक परिवर्तन के लिए निर्देशित किया जाता है।"

    यह आदेश अधिनियम की धारा 15 के मद्देनजर पारित किया गया है जो जन्म और मृत्यु के पंजीयन में प्रविष्टि को सुधार या रद्द करने का प्रावधान करता है।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसके बेटे की सही जन्म तिथि 13.09.2003 के बजाय 13.08.2003 थी। याचिकाकर्ता ने त्रुटि को इंगित करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा दायर हलफनामे के साथ स्कूल परित्याग प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट की प्रति सहित आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रतिवादी संख्या 2 के समक्ष उसमें सुधार के लिए एक अभ्यावेदन दिया था। यह भी दलील दी गयी थी कि प्रतिवादी को आवश्यक परिवर्तन के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण नियम (2004) की धारा 15 नियम 11(4) के तहत अधिकृत किया गया था।

    प्रतिवादी प्राधिकारी ने, इसके उलट, उपरोक्त परिवर्तनों की याचिकाकर्ता की मांग इस आधार पर ठुकरा दी कि सक्षम प्राधिकारी के पास आवेदन पर निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।

    हालांकि, बेंच के अनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा संदर्भित दस्तावेजों को जन्म और मृत्यु पंजीयक द्वारा स्वीकार कर लिया गया था और अधिकारक्षेत्र की कमी के कारण आवेदन पर निर्णय नहीं लिया गया था। इससे निपटने के लिए, कोर्ट ने 'नाटुभाई धर्मदास पटेल बनाम गुजरात सरकार और अन्य' मामले पर भरोसा किया, जिसमें गुजरात हाईकोर्ट ने 1969 के अधिनियम की धारा 15 और नियमावली 2004 के नियम 11 पर विचार किया था और उसके बाद प्रतिवादी प्राधिकारी को संबंधित याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था।

    हाईकोर्ट ने 'निताबेन नरेशभाई पटेल बनाम गुजरात सरकार' में टिप्पणी की थी:

    "प्रतिवादी संख्या 2 को प्रविष्टियों और नाम के संबंध में सुधार के लिए शक्तियां प्राप्त हैं और इस तरह का सुधार या रद्दीकरण भी अधिनियम की धारा 15 के तहत शक्तियों के दायरे में आता है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत की जा सकने वाली आवश्यक सामग्री पर उचित ध्यान देकर याचिकाकर्ता के मामले पर फिर से विचार करने और निर्णय लेने के लिए प्रतिवादी संख्या 2 प्राधिकारी को निर्देश जारी करने की आवश्यकता है।"

    प्रासंगिक प्रावधानों और मिसालों को ध्यान में रखते हुए, बेंच ने तलाटी-सह-मंत्री द्वारा विवादित पत्राचार को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों पर विचार करने के लिए मामले को प्रतिवादी अधिकारियों को वापस भेज दिया।

    केस शीर्षक: पटेल घनश्यामभाई गंडाभाई बनाम गुजरात सरकार

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