रेप पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
Brij Nandan
12 July 2023 2:11 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता का गर्भपात कराने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा- यौन उत्पीड़न की शिकार महिला को उस बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जो बच्चा यौन शोषण करने वाले व्यक्ति का है।
दरअसल, 12 साल की रेप पीड़िता ने अपने 25 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने कहा- महिला को गर्भावस्था के चिकित्सकीय समापन से इनकार करना गलत है। उसे मातृत्व की जिम्मेदारी से बांधने से उसके सम्मान के साथ जीने के मानव अधिकार से इनकार करना होगा। पीड़िता को अपने शरीर की स्थिति का निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
रेप पीड़िता ने अपनी मां के जरिए हाईकोर्ट का रुख किया था। याचिका में कहा गया कि पड़ोसी ने उसकी बेटी का कई बार रेप किया और यौन उत्पीड़न किया। लेकिन वो बोल और सुन नहीं सकती है, इसलिए वो किसी को भी इस घटना के बारे में नहीं पाई। उसने साइन लैंगवेज के जरिए मां को रेप के बार में बताया।
इसके बाद मां ने आरोपी के खिलाफ रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज कराई।
16 जून 2023 को पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई तो 23 सप्ताह के गर्भ का पता चला। 27 जून को मामले को मेडिकल बोर्ड के समक्ष रखा गया तो ये राय दी गई कि गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक है, इसलिए गर्भपात कराने से पहले अदालत की अनुमति की आवश्यकता है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के सेक्शन 3 के तहत किसी महिला की गर्भावस्था को समाप्त करने का समय 20 सप्ताह से अधिक, लेकिन 24 सप्ताह से अधिक नहीं है, केवल विशेष परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है। ये देखा जायेगा कि महिला के जीवन या शारीरिक स्वास्थ्य को कोई गंभीर नुकसान तो नहीं होगा।
कोर्ट ने कहा कि लड़की नाबालिग है। उसका रेप और यौन उत्पीड़न हुआ है। ये मामला मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत स्पेशल कैटेगरी में आएगा।
कोर्ट ने मामले संवदेनशीलता को देखते हुए मानवीय आधार पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति को आदेश दिया कि जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के पांच चिकित्सकों की टीम गठित की जाए।
कोर्ट ने एनेस्थीसिया विभाग और रेडियो डायग्नोसिस विभाग 11 जुलाई को पीड़िता की जांच करने और 12 जुलाई को मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट राघव अरोड़ा उपस्थित हुए।
केस टाइटल- एक्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 4 अन्य [WRIT - C No. – 22016 ऑफ 2023]
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