पुलिस के खिलाफ बलात्कार का आरोप- 'कानून के रक्षक बने भक्षक, विधवा बनी वासना की शिकार': पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने महिला-SIT गठित करने का आदेश दिया
LiveLaw News Network
27 May 2021 2:39 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस के डीसीपी को अपराध जांच एजेंसी (सीआईए), बठिंडा के एक पुलिसकर्मी के खिलाफ 38 वर्षीय महिला द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय महिला-एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की खंडपीठ ने पहले से गठित एसआईटी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई महिला पुलिस अधिकारी नहीं है और यह देखते हुए एक नई तीन सदस्यीय महिला-एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया।
बेंच ने कहा कि,
"संवेदनशील जांच की प्रकृति को देखते हुए कहा है कि कोई भी महिला पुलिस अधिकारी शामिल नहीं है, जबकि इस तरह के मामलों में कानून के तहत महिला पुलिस अधिकारी होना आवश्यक है। इस तरह की असंवेदनशीलता को देखना बेहद निराशाजनक है जिसमें जिला पुलिस अधिकारियों ने सभी पुरुष सदस्यों वाली एसआईटी गठित करके कार्रवाई की है।"
मामले का तथ्य
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 38 वर्षीय विधवा महिला के बेटे (19-20 वर्ष) COVID -19 संक्रमण से पीड़ित था। जब विधवा ने यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया तो उसके बेटे को घर से सीआईए के पुलिस अधिकारियों ने दिन के उजाले में 6 मई, 2021 को सुबह 10.00 बजे उठाकर ले गए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इसके साथ ही उसके बेटे के खिलाफ प्रतिबंधित पदार्थ का उपयोग का आरोप लगाकर एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी ताकि याचिकाकर्ता उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर हो जाए। आखिरकार अपने बेटे को रिहा कराने के दबाव में वह सीआईए स्टाफ की यौन संबंध बनाने के मांगों के सामने झुक गई।
याचिकाकर्ता ने अपने आरोपों की पुष्टि करने के लिए उसने एक पेन ड्राइव भी प्रस्तुत किया जिसमें उसके और एक एएसआई के बीच रिकॉर्ड की गई बातचीत के साथ-साथ उसके बलात्कार के आरोपों के समर्थन में कुछ लाइव वीडियो क्लिपिंग भी शामिल है।
कोर्ट ने कहा कि,
"सच्चाई तभी सामने आएगी जब कानून के अनुसार मामले की उचित जांच हो।"
राज्य के वकील ने तर्क दिया कि तथ्य काल्पनिक हैं और वास्तव में याचिकाकर्ता (विधवा महिला) ने जाल बिछाया गया था, लेकिन वही इसमें फंस गई।
कोर्ट ने इस पर कहा कि,
"अगर आरोप सच है तो यह पंजाब पुलिस, विशेष रूप से बठिंडा में अपराध जांच एजेंसी (सीआईए) में खराब स्थिति को दर्शाता है। कानून और व्यवस्था के रक्षक भक्षक बन गए हैं और 38 वर्षीय विधवा मां वासना की शिकार हुई है, जैसा कि याचिका में अधिक विस्तृत रूप से कहा गया है।"
कोर्ट का आदेश
अदालत ने पुलिस महानिदेशक को एक नई एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया। इसकी अध्यक्षता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरप्रीत देव करेंगी और अन्य दो सदस्य- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डी. सुदरविझी, श्री मुक्तसर साहिब और पुलिस उपाधीक्षक प्रभजोत कौर, बुढलाडा, मानसा उनकी सहायता करेंगी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बठिंडा को इसके अलावा निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा अपने सेल फोन से की गई ऑडियो / वीडियो रिकॉर्डिंग के संबंध में एफएसएल रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत किए जाए, जिसे मामले से संबंधित सबूत समझा जाए।
कोर्ट ने अंत में देखा कि कि विधवा महिला ने प्रस्तुत किया कि उसे डर है कि मामले में शामिल पुलिस अधिकारी उसे शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और / या उसे नष्ट करने की कोशिश कर सकते हैं।
कोर्ट ने राज्य के वकील को निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया कि महेश चावला और अन्य बनाम भारत संघ [रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 156 की 2016] में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि,
"यह भी उम्मीद की जाती है कि राज्य के वकील से उस समय अवधि के संबंध में निर्देश मांगें, जिसके भीतर जांच पूरी की जाएगी।"
कोर्ट ने राज्य के वकील को यह भी निर्देश दिया कि दोनों प्राथमिकी से उत्पन्न आपराधिक कार्यवाही के साथ-साथ की गई विभागीय कार्रवाई, यदि कोई हो, में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे में निर्देश प्राप्त करें।
मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 मई, 2021 को सूचीबद्ध किया गया है।