राजस्थान हाईकोर्ट ने रूस सरकार द्वारा भारतीय नागरिक का पार्थिव शरीर नहीं भेजने पर विदेश मंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया

LiveLaw News Network

21 Dec 2021 10:30 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने रूस सरकार द्वारा भारतीय नागरिक का पार्थिव शरीर नहीं भेजने पर विदेश मंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया

    (एडवोकेट रजाक के. हैदर, लाइव लॉ नेटवर्क)

    राजस्थान हाईकोर्ट ने रूस में एक हादसे में जान गंवाने वाले भारतीय व्यक्ति का पार्थिव शरीर स्वदेश नहीं भेजने के मामले में भारत के विदेश मंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

    जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने पिछली सुनवाई पर 15 दिसम्बर को भारत में रूसी दूतावास के वरिष्ठ काउंसलर (काउंसलर डिवीजन) को ई-मेल से नोटिस से नोटिस भिजवाया था। इसके बावजूद 20 दिसम्बर को रूसी संघ दूतावास की ओर से कोई पेश नहीं हुआ।

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील पुरोहित ने कोर्ट के ध्यान में लाया कि जब तक भारतीय दूतावास अपनी सहमति नहीं देता, तब तक मृतक के शव का अंतित संस्कार नहीं किया जाएगा।

    राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश मेहता ने भारतीय दूतावास को निर्देश दिए कि महिला याचिकाकर्ता के पति के शव के अंतिम संस्कार के लिए अगली सुनवाई तक रूस को अपनी सहमति न दें।

    कोर्ट ने भारतीय विदेश सचिव को निर्देश दिए कि इस मामले को डिप्लोमेटिक स्तर पर सुलझाने का रास्ता ढूंढ़ें। साथ ही भारत के केंद्रीय विदेश मंत्री से भी कहा कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें। मामले में अगली सुनवाई 4 जनवरी को निर्धारित की गई है।

    राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में हितेंद्र कुमार गरासिया की पत्नी और बच्चों की याचिका पर रूसी दूतावास / रूस सरकार को नोटिस जारी किया था। हितेंद्र कुमार गरासिया की रूस में किसी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी और पिछले चार महीनों से उनका पार्थिव शरीर/अवशेष रूस में लावारिस पड़ा हुआ है।

    न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की खंडपीठ ने भारत सरकार की दलीलों को ध्यान में रखा कि उक्त हितेंद्र कुमार गरासिया (याचिकाकर्ता के पति / पिता) के नश्वर अवशेषों को भारत लाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि अदालत को बताया गया कि रूस सरकार के अधिकारी एफएसएल रिपोर्ट लंबित शव को नहीं सौंप रहे हैं।

    न्यायालय याचिकाकर्ताओं (आशा, उर्वशी और पीयूष कुमार) की याचिका पर विचार कर रहा है, जिन्होंने इस शिकायत के साथ इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि उनके पति / पिता स्वर्गीय हितेंद्र कुमार गरासिया पार्थिव शरीर/अवशेष पिछले चार महीने से रूस में लावारिस पड़े हैं, जिनका रूस में किसी दुर्घटना में निधन हो गया।

    यह उनका निवेदन था कि वे दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है। इसे देखते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि हितेंद्र कुमार का जुलाई 2021 में निधन हो गया है, इसलिए रूस सरकारसे इस संबंध में प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया जाना चाहिए।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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