राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषी की आकस्मिक पैरोल पर निर्णय लेने में देरी पर जिला कलेक्टर, जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

16 April 2022 4:16 PM IST

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषी की आकस्मिक पैरोल पर निर्णय लेने में देरी पर जिला कलेक्टर, जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में बीकानेर में जेल अधीक्षक और जिला कलेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक दोषी की आपातकालीन पैरोल अर्जी पर निर्णय लेने में एक महीने की देरी पर स्पष्टीकरण मांगा। उक्त कैदी की मां का निधन हो गया था।

    जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस रामेश्वर व्यास की पीठ ने कहा कि अदालत ने समय-समय पर जेल के साथ-साथ पैरोल अधिकारियों को आकस्मिक पैरोल आवेदनों पर निर्णय लेते समय सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि प्रस्तुति के सात दिनों के भीतर आदेश पारित किए जाएं।

    इसके अलावा, राजस्थान कैदी रिलीज ऑन पैरोल नियम, 2021 के नियम 23 के तहत आपातकालीन पैरोल के लिए एक आवेदन पर प्रस्तुति के 4 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाना आवश्यक है।

    इस पृष्ठभूमि में बेंच ने टिप्पणी की,

    "जाहिर है कि अधीक्षक, केंद्रीय जेल, बीकानेर के साथ-साथ जिला कलेक्टर, बीकानेर ने इस न्यायालय के निर्देशों की अवमानना ​​​ और साथ ही 2021 के नियमों के नियम 23 के घोर गैर-अनुपालन में कार्य किया है।"

    इस प्रकार, अदालत ने आदेश दिया कि जिला कलेक्टर और जेल अधीक्षक सुनवाई की अगली तारीख पर उसके सामने उपस्थित रहें और कारण बताएं कि उनके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की जा सकती है।

    न्यायालय ने टिप्पणी की कि वर्तमान में याचिका "बहुत खेदजनक स्थिति" प्रस्तुत करती है, क्योंकि 10.03.2022 को दोषी-याचिकाकर्ता द्वारा अंतरिम पैरोल के लिए एक आवेदन अधीक्षक, सेंट्रल जेल, बीकानेर को दायर किया गया था, क्योंकि उसकी मां की मृत्यु 09.03.2022 को हुई थी। लेकिन कथित कारण के लिए यह तय नहीं किया गया कि आवेदन में प्रार्थना 15 दिनों के आकस्मिक पैरोल के अनुदान के लिए थी।

    जेल अधीक्षक ने कथित तौर पर आवेदन जिला कलेक्टर, बीकानेर को भेजा और उन्होंने इसे फिर से जेल अधीक्षक के भेज दिया। याचिकाकर्ता की मां की मृत्यु को लगभग एक महीना बीत चुका है, जिसके बाद उसने वर्तमान रिट याचिका दायर की। 08.04.2022 को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता के आकस्मिक पैरोल आवेदन पर निर्णय लेने के लिए जीए-सह-एएजी को एक मौखिक निर्देश दिया गया, जिसके बाद जेल अधीक्षक ने उसे 7 दिन की आकस्मिक पैरोल प्रदान की।

    अदालत ने अब आकस्मिक पैरोल की अवधि बढ़ाकर 15 दिन कर दी है।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रंजना सिंह मेड़िया और प्रतिवादी की ओर से जीए-सह-एएजी अनिल जोशी पेश हुए। सुनवाई के दौरान आर. अनंतेश्वरन, अधीक्षक, केंद्रीय कारा, बीकानेर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे।

    केस शीर्षक: गिरधारी सिंह बनाम राजस्थान राज्य

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