राजस्थान हाईकोर्ट ने लखनऊ में लड़कियों के मिलने के बाद वकील की गुमशुदा बेटियों का मामला बंद किया, 'सपनों को पूरा करने' के लिए वहीं रहने की इच्छा जताई

LiveLaw News Network

11 April 2022 8:26 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने लखनऊ में लड़कियों के मिलने के बाद वकील की गुमशुदा बेटियों का मामला बंद किया, सपनों को पूरा करने के लिए वहीं रहने की इच्छा जताई

    राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने बेटियों के कोर्ट में पेश होने के बाद एडवोकेट की गुमशुदा बेटियों के मामले का निपटारा किया।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता-पिता से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी बेटियों की इच्छाओं का पालन करें और उन्हें लखनऊ ले जाएं।

    कोर्ट जयपुर के एडवोकेट अवधेश कुमार पुरोहित द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी दो नाबालिग बेटियां 3 फरवरी, 2022 से लाई सी.एम. सीनियर सेकेंडरी स्कूल, करतारपुरा, जयपुर से गायब थीं। उसी दिन एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

    न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार की खंडपीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता जो व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद है, अपनी बेटियों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए सहमत हो गया है और उन्हें 07.04.2022 को लखनऊ ले जाने के लिए सहमत हो गया है। याचिकाकर्ता से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपनी बेटियों की इच्छाओं का पालन करेगा और उन्हें 07.04.2022 को लखनऊ ले जाएं।"

    सुनवाई के दौरान अदालत ने नाबालिग बेटियों से पूछताछ की, जिसमें बेटियों ने कहा कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने माता-पिता को बताए बिना खुद चली गईं।

    लड़कियों ने अदालत के समक्ष आगे कहा कि उनके माता-पिता उनकी इच्छा पर सहमत हो गए हैं, उन्हें लखनऊ ले जाने के लिए जहां वे दोनों रहना चाहती हैं। यह भी कहा गया कि उक्त शर्त पर वे याचिकाकर्ता-पिता के साथ जाने को तैयार हैं।

    खंडपीठ ने राय दी,

    "हमने कॉर्पस की जांच की है। एक कॉर्पस दस दिन के बाद बालिग हो जाएगी और दूसरी कॉर्पस सोलह साल की उम्र की होगी। दोनों ने कहा है कि वे अपने माता-पिता को अपने सपनों को पूरा करने के लिए बताए बिना खुद से भार गए थे। लड़कियों ने कहा है कि अब उनके माता-पिता उनके सपनों को पूरा करने और उन्हें लखनऊ ले जाने के लिए तैयार हो गए हैं, जहां दोनों लड़कियां रहना चाहती हैं और अपने सपने पूरे करना चाहती हैं। उपरोक्त शर्त पर वे याचिकाकर्ता के साथ जाने को तैयार हैं।"

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित किया है कि लड़कियों के साथ कोई दुर्व्यवहार या नुकसान नहीं होगा। उक्त आश्वासन पर कोर्ट ने बच्चियों को याचिकाकर्ता-पिता को सौंपने का आदेश दिया।

    अदालत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए लड़कियों का पता लगाने और उन्हें बरामद करने में पुलिस बल द्वारा किए गए गंभीर प्रयासों की सराहना की।

    पिछली सुनवाई में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया था कि अधिवक्ता की लापता बेटियों का पता लगाने के लिए कार्रवाई तेज की जाए।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अनिल कुमार उपमान और एडवोकेट भुवनेश शर्मा पेश हुए, जबकि प्रतिवादियों की ओर से जीए-सह-एएजी जी.एस. राठौर और अतिरिक्त जीए अलका भटनागर पेश हुईं। याचिकाकर्ता-पिता एडवोकेट अवधेश कुमार पुरोहित भी व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे।

    इसके अलावा, आईपीएस मृदुल कछवा, एसीपी भोपाल सिंह, एसएचओ सोडाला सज्जन सिंह, महेश नगर अमृता, एसएचओ, महिला थाना और सरोज चौधरी, एमएफसी 2013 भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।

    केस का शीर्षक: अवधेश कुमार पुरोहित बनाम राजस्थान राज्य

    प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (राजस्थान) 125

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