राजस्थान हाईकोर्ट में बंदियों के नए पैरोल नियमों की संवैधानिकता को चुनौती

LiveLaw News Network

16 Sep 2021 11:42 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट 

    हाल ही में लागू किए गए राजस्थान बंदी पैरोल रिहाई नियम, 2021 की संवैधानिकता को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नए नियमों के तहत सजायाफ्ता बंदी का पैरोल आवेदन उस स्थिति में ही स्वीकार किया जा सकता है, जब बंदी ने सजा की आधी अवधि कैद में गुज़ार ली हो, जबकि पूर्व के नियमों के तहत 25 फीसदी सजा की अवधि गुज़र जाने के बाद भी पैरोल आवेदन स्वीकार किया जा सकता था।

    हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एक बंदी का पैरोल आवेदन जिला कलेक्टर जोधपुर की पैरोल समिति ने इसी आधार पर अस्वीकार कर दिया था, जिससे आहत होकर बंदी ने राजस्थान हाईकोर्ट में खंडपीठ में आपराधिक रिट याचिका दायर कर इन नियमों की संवैधानिकता को चुनौती दी।

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता कालूराम भाटी ने कहा कि मूल सजा का आधा भाग पूर्ण होने पर ही पैरोल का पात्र होने की शर्त प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है।

    याचिका में कहा गया कि किसी अन्य राज्यों में इस तरह के नियम नहीं हैं, इसलिए पूर्व के नियमों के अनुसार सज़ा की 25 फीसदी अवधि पूरी होने पर पर पैरोल मंजूर करने के नियम को बहाल किया जाए और नए नियम के तहत आधी सजा भुगतने के बाद पैरोल की शर्त को खारिज किया जाए।

    जस्टिस संदीप मेहता व जस्टिस रामेश्वर व्यास की खण्डपीठ ने रिट याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद राज्य की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए।

    पैरोल के नए नियम 2021 के नियम 16 के तहत आजीवन कारावास के बंदी, जिनकी 20 वर्ष की सजा में से आधी सजा 10 वर्ष भुगतने पर प्रथम पैरोल के लिए पात्र होगा एवं वे अपराध जिनकी सजा 7 वर्ष से भी अधिक है, उनकी भी मूल सजा में से आधी सजा पूर्ण होने पर पैरोल के लिए योग्य होगा।

    पैरोल के पुराने नियम 1958 के अनुसार मूल सजा का 25 फीसदी भाग भुगतने पर पैरोल के योग्य माना जाता था, जिसमें आजीवन सजा 20 वर्ष का 5 वर्ष की सजा भुगतने पर एवं अन्य अपराध की मूल सजा का 25 फीसदी सजा भुगतने पर पैरोल के लिए पात्र था।

    (रजाक के. हैदर, लाइव लॉ नेटवर्क)

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