'सिख टिप्पणी विवाद' पर राहुल गांधी की दलील: विद्रोह के लिए नहीं भड़काया, इरादा पूरी स्पीच से देखा जाए, टुकड़ों से नहीं

Amir Ahmad

3 Sept 2025 4:19 PM IST

  • सिख टिप्पणी विवाद पर राहुल गांधी की दलील: विद्रोह के लिए नहीं भड़काया, इरादा पूरी स्पीच से देखा जाए, टुकड़ों से नहीं

    इलाहाबाद हाईकोर्ट में कांग्रेस (Congress) नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बुधवार को कहा कि उन्होंने सिख समुदाय को विद्रोह के लिए नहीं उकसाया और उनकी पूरी स्पीच को देखे बिना इरादा नहीं निकाला जा सकता।

    सीनियर एडवोकेट गोपाल चतुर्वेदी ने जस्टिस समीर जैन की पीठ के सामने दलील दी,

    “सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसी भाषण की एक-दो पंक्तियों से इरादा नहीं समझा जा सकता। पूरे भाषण का संदर्भ देखना ज़रूरी है। केवल 25 शब्दों से 'मेंस रिया' नहीं निकाला जा सकता।”

    गांधी पक्ष ने तर्क दिया कि वाराणसी सेशंस कोर्ट ने उनके वकीलों की बातों को नज़रअंदाज़ किया और केवल BNSS की धारा 208 तक सीमित रहकर आदेश पारित कर दिया, जबकि मुख्य सवाल यह था कि क्या कोई संज्ञेय अपराध बनता भी है या नहीं।

    उन्होंने कहा कि गांधी ने न तो किसी विशेष सरकार को निशाना बनाया और न ही पाकिस्तान या आतंकवादियों का पक्ष लिया।

    उन्होंने कहा,

    “यह कहना कि उन्होंने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश की, सही नहीं है। उन्होंने केवल धार्मिक स्वतंत्रता के सवाल उठाए, वह भी सामान्य संदर्भ में।”

    मामले की पृष्ठभूमि

    यह मामला गांधी की उस कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जो उन्होंने सितंबर, 2024 में अमेरिका दौरे के दौरान सिख समुदाय को लेकर की थी। शिकायतकर्ता नागेश्वर मिश्र का आरोप है कि गांधी ने कहा कि भारत में सिख पगड़ी पहनकर या गुरुद्वारे जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करते, जो कि भड़काऊ और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बयान है।

    वाराणसी की मजिस्ट्रेट अदालत ने नवंबर, 2024 में FIR दर्ज करने की अर्जी खारिज की, यह कहते हुए कि विदेश में दिए गए बयान पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति अनिवार्य है। मगर जुलाई, 2025 में सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट का आदेश पलटते हुए कहा कि मामले को सुप्रीम कोर्ट की मिसालों के आलोक में फिर से सुना जाए।

    अब गांधी ने इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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