''काफी अस्वाभाविक है कि एक आदमी भारतीय संस्कृति में रहते हुए किसी अन्य के साथ मिलकर अपनी बहू का बलात्कार करेगा'': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत मंजूर की
Manisha Khatri
29 May 2022 11:19 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह अपनी बहू से बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि यह बिल्कुल अप्राकृतिक/अस्वाभाविक है कि हमारी भारतीय संस्कृति में एक ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी ही बहू के साथ बलात्कार करेगा।
जस्टिस अजीत सिंह की पीठ ने आरोपी-बाबू खान (पीड़िता के ससुर) को अग्रिम जमानत देते हुए कहा,
''... यह मानते हुए कि यह काफी अस्वाभाविक है कि हमारी भारतीय संस्कृति में एक ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी ही बहू के साथ बलात्कार करेगा, यह माना गया है कि यह आरोप समाज में उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या अपमानित करने के लिए गलत तरीके से लगाया गया है।''
न्यायालय आवेदक (बाबू खान) की ओर से दायर एक अग्रिम जमानत आवेदन पर विचार कर रहा था। बाबू खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 511, 504 और 506 के तहत दर्ज मामला दर्ज किया गया है।
मामले में एफआईआर पीड़िता (आरोपी की बहू) ने खान (ससुर) और अन्य सह-आरोपी मोहम्मद हारून के खिलाफ दर्ज कराई थी। पीड़िता का आरोप है कि उसका ससुर सह-आरोपी के साथ पीड़िता के भाई के घर आया और उससे पूछा कि क्या उसका भाई घर में है?
जब पीड़िता ने उनको बताया कि उसका भाई घर पर नहीं है तो ससुर/आरोपी ने गाली-गलौज करना शुरू कर दिया और जब पीड़िता ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसके ससुर ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसके बाद दोनों आरोपियों ने उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की।
आवेदक (खान) के वकील ने तर्क दिया कि इस मामले में अन्य सह-आरोपी मोहम्मद हारून को हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत दी जा चुकी है। इसलिए, वह भी समानता के आधार पर अग्रिम जमानत का हकदार है।
इस पृष्ठभूमि को देखते हुए अदालत ने आरोपी खान को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए कहा कि,
''मामले की मैरिट पर कोई राय व्यक्त किए बिना और आरोपों की प्रकृति, आवेदक के पूर्व के चरित्र व अपराध की गंभीरता पर विचार करते हुए और यह मानते हुए कि यह काफी अस्वाभाविक है कि हमारी भारतीय संस्कृति एक ससुर खुद किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी बहू का बलात्कार करेगा,ऐसा लग रहा है कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या अपमानित करने के उद्देश्य से यह झूठा आरोप लगाया गया है। वहीं सुशीला अग्रवाल बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली)... और सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसलों को भी ध्यान में रखा गया है।''
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि संबंधित स्टेशन हाउस अधिकारी की संतुष्टि के अनुसार आवेदन को निजी मुचलके व दो जमानतदार पेश करने के बाद अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए।
केस टाइटल - बाबू खान बनाम यूपी राज्य व अन्य,[CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 CR.P.C. No. - 3285 of 2022]
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (एबी) 266
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