टिकरी बॉर्डर पर कृ‌षि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी के साथ कथित बलात्कार के मामले में आरोपी को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

7 Aug 2021 6:12 AM GMT

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को टिकरी बॉर्डर पर किसान कानून विरोधी एक प्रदर्शनकारी से रेप के आरोपी एक व्यक्ति को अग्र‌िम जमानत देने से इनकार कर दिया। पीड़िता की मौत हो चुकी है।

    ज‌स्टिस राजेश भारद्वाज की खंडपीठ मामले को एक गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत की रियायत के काबिल नहीं है और अभियोजन पक्ष द्वारा हिरासत में की गई पूछताछ उचित प्रतीत होती है।

    यह देखते हुए कि जमानत आवेदक के खिलाफ बलात्कार और अपहरण के विशिष्ट आरोप हैं, अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकती है।

    " ... यह बखूबी स्थापित है कि संविधान का अनुच्छेद 21 एक पूर्ण अधिकार नहीं है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अधीन है। वर्तमान मामले में शामिल तथ्य और परिस्थितियां याचिकाकर्ता की मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं और इस लिए याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है और संविधान के याचिकाकर्ता को अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्‍त अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा।"

    संक्षेप में तथ्य

    जमानत आवेदक के खिलाफ पश्चिम बंगाल की एक 25 वर्षीय कलाकार के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने के आरोप में धारा 120-बी, 365, 354, 376-डी, 342, 506 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज किया गया है। वह कृषि कानून के ‌खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने गई थी।

    पीड़िता (अब मृत) के पिता ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आरोप लगाया कि उनकी बेटी, किसान आंदोलन की समर्थक, छह लोगों के समूह का हिस्सा थी, जिन्होंने अप्रैल में बंगाल से दिल्ली की यात्रा की थी। समूह में आरोपी अनूप शामिल था।

    मामले में यह भी आरोप लगाया गया है कि ट्रेन से दिल्ली जाते समय ट्रेन में उसका यौन शोषण किया गया और उसके बाद, लड़की वर्तमान आवेदक सहित तीन लोगों के साथ एक टेंट में रुकी, जिसमें उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया।

    इसके बाद, कथित तौर पर 30 अप्रैल को COVID से उसकी मृत्यु हो गई। इससे पहले, इस मामले में सह-आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसे कोऑर्डिनेट बेंच ने अस्वीकार कर दिया था।

    वर्तमान याचिकाकर्ता को एफआईआर में विशेष रूप से नामित किया जा रहा है, उसने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, झज्जर से अग्रिम जमानत देने के लिए भी संपर्क किया, हालांकि, उसे भी अस्वीकार कर दिया गया।

    इसके बाद याचिकाकर्ता ने मौजूदा याचिका दायर कर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि प‌ीड़‌िता के पिता द्वारा बताई गई घटनाओं का पूरा विवरण पुलिस कॉल डिटेल और सह-आरोपी के खुलासे की मदद से जांच रही है, कोर्ट के मन में कोई संदेह नहीं है कि एफआईआर में लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।

    अदालत ने आगे कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि सह-आरोपी अंकुर, जिसकी अग्रिम जमानत को कोऑर्डिनेट बेंच ने पहले ही खारिज कर दिया था, ने पीड़िता पर दुराचार के आरोप लगाए गए थे।

    विचार विमर्श के मद्देनज़र, वर्तमान याचिका को किसी भी योग्यता से रहित पाया गया और खारिज कर दिया गया।

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