पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोर्ट क्‍लर्क के खिलाफ शुरु की मानहान‌ि की कार्यवाही, यू-ट्यूब के जर‌िए न्याय‌िक अधिकारियों को बदनाम करने का है आरोप

LiveLaw News Network

8 Jun 2020 2:05 PM GMT

  • पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोर्ट क्‍लर्क के खिलाफ शुरु की मानहान‌ि की कार्यवाही, यू-ट्यूब के जर‌िए न्याय‌िक अधिकारियों को बदनाम करने का है आरोप

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मानसा में सत्र न्यायालय में तैनात एक कोर्ट क्लर्क के खिलाफ मानहानी का सुओ मोटो मुकदमा दायर किया है। क्‍लर्क पर कथित रूप से यू-ट्यूब के जर‌िए न्यायिक अधिकारियों को बदनाम करने का आरोप है।

    आरोपी हरमीत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने यू-ट्यूब पर एक चैनल बनाया था, जिसका शीर्षक 'भारतीय न्यायपालिका, लुधियाना का बदसूरत चेहरा' था और उस पर ऐसे वीडियो अपलोड किए थे, जिनमें न्यायिक अधिकारियों पर झूठे आरोप लगाए गए थे।

    आरोप है कि उक्त चैनल के जरिए आरोपी ने जिला व सत्र न्यायाधीश, लुधियाना और एडीजे रंजीत कुमार जैन की, कथ‌ित रूप से मनसा सत्र डिवीजन में अपने ट्रांसफर में हेरफेर करने के कारण आलोचना की। आरोपी ने उच्च न्यायालय के दो सिटिंग जजों के खिलाफ भी ऐसे आरोप लगाए।

    जिला एवं सत्र न्यायाधीश, लुधियाना के एक संदर्भ के अनुसार मामले में कार्यवाही शुरू की गई, जिसमें कहा गया था कि चैनल के जर‌िए आरोपी ने खुद को लुधियाना वापस ट्रांसफर कराने के उद्देश्य से न्यायाधीशों को डराने की कोशिश की।

    सुनवाई के दौरान, आरोपी ने बताया कि उसे पहले से ही एक विभागीय जांच में दंडित किया जा चुका है और पंजाब सिविल सेवा (सजा और अपील) नियम, 1970, के नियम 5 (v) से (ix) के तहत संचयी प्रभाव से उसके चार वार्षिक ग्रेड पे वृद्धि को रोक दिया गया है।

    आरोपी ने कहा कि वर्तमान अवमानना ​​कार्यवाही दोगुने संकट के बराबर है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यू-ट्यूब पर सामग्री डालना "प्रकाशन" नहीं है, क्योंकि उनका एकाउंट व्यक्तिगत है और कुछ परिचितों तक ही सीमित है। हालांकि इन दलीलों का खंडन करते हुए जस्टिस जवंत सिंह और ज‌स्टिस संत प्रकाश की पीठ ने कहा-

    "पक्षकारों के वकीलों को सुनने के बाद और फाइल पर मौजूद सारे रिकार्डों के अध्‍ययन के बाद, हमारा मानना है कि दोनों पक्षों के अलग-अलग स्टैंडों के कारण, यह न्याय के हित में होगा, प्रतिवादी के खिलाफ उचित चार्ज फ्रेम किए जाएं और उसे अपने दावों को सबूतों के जर‌िए, यदि कोई हो तो, पुष्ट करने का मौका दिया जाए। प्रतिवादी की ओर से उठाए गए...सवाल बहस के योग्य हैं, जिनका जवाब दोनों पक्षों के साक्ष्य और प्रस्तुतिकरण के बाद ही दिया जा सकता है।"

    अदालत ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए और मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की।

    मामले का विवरण:

    केस टाइटल: Court on its own motion बनाम हरमीत सिंह

    केस नं: CROCP नंबर 10/2013

    कोरम: जस्टिस जवंत सिंह और जस्टिस संत प्रकाश

    प्रति‌निध‌ित्व: एडवोकेट पीएस हुंडाल (एमिकस क्यूरी); एडवोकेट राजविंदर सिंह बैंस (प्रतिवादी की ओर से)

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