साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 | जिस आईओ ने दस्तावेज जमा किये, सामग्री के संबंध में उससे क्रॉस एक्ज़ामिनेशन नहीं किया जा सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Shahadat

11 July 2022 5:46 AM GMT

  • साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 | जिस आईओ ने दस्तावेज जमा किये, सामग्री के संबंध में उससे क्रॉस एक्ज़ामिनेशन नहीं किया जा सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 का हवाला देते हुए जांच अधिकारी (आईओ) से क्रॉस एक्ज़ामिनेशन (प्रति परीक्षण) की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उक्त आईओ ने भ्रष्टाचार के मामले में याचिकाकर्ता-आरोपी के खिलाफ दस्तावेज एकत्र किए थे।

    प्रावधान में कहा गया कि किसी दस्तावेज़ को पेश करने के लिए बुलाया गया व्यक्ति केवल इस तथ्य से गवाह नहीं बन जाता है कि वह इसे पेश करता है। फिर जब तक उसे गवाह के रूप में नहीं बुलाया जाता है तब तक उससे क्रॉस एक्ज़ामिनेशन नहीं की जा सकती है।

    तदनुसार, हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 के अनुसार, गवाह (आईओ) को ट्रायल के दौरान प्रदर्शित दस्तावेजों की सामग्री के संबंध में क्रॉस एक्ज़ामिनेशन की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि उसी समय ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय देखा जाएगा।

    जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान की पीठ ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में "आपराधिक ट्रायल में अपर्याप्तता और कमियों के बारे में कुछ दिशानिर्देश जारी करना बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य, 2022 (1) एससीसी (सीआरई) 100 मामले में अपराधियों के लिए जो दिशानिर्देश दिए हैं, वे ट्रायल प्रकृति में निर्देशात्मक है।

    यह पीठासीन अधिकारियों के विवेक पर होता कि वह आवश्यक होने पर क्रॉस एक्ज़ामिनेशन प्रारूप में बयान की अनुमति दें।

    यहां याचिकाकर्ता पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था जिसमें जांच अधिकारी से क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करने की अनुमति की मांग करने वाले उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।

    सीबीआई के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता-अभियुक्त इन दस्तावेजों की सामग्री के संबंध में सवाल करना चाहता है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि अंतिम बहस के समय ट्रायल कोर्ट द्वारा इसे देखा जाना चाहिए। फिर आईओ वह व्यक्ति नहीं है जिसने उन दस्तावेजों को तैयार किया है। वह केवल दस्तावेजों की वसूली का गवाह है।

    उक्त दलील में योग्यता पाते हुए अदालत ने प्रश्न-उत्तर प्रारूप के माध्यम से गवाह की क्रॉस एक्ज़ामिनेशन से इनकार कर दिया।

    चूंकि इस गवाह ने इन दस्तावेजों को तैयार नहीं किया है, केवल एकत्र किया है। इसलिए उसे किसी भी व्यक्तिगत ज्ञान के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जिसके लिए प्रश्न और उत्तर प्रारूप के माध्यम से उसकी जिरह की अनुमति है।

    अन्यथा भी अदालत ने नोट किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 गवाह को ट्रायल के दौरान प्रदर्शित दस्तावेजों की सामग्री के संबंध में जिरह की अनुमति नहीं देती, क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय के समय देखा जाता है।

    तदनुसार, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रायल कोर्ट ने तर्कसंगत आदेश पारित किया। निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं पाते हुए अदालत ने वर्तमान याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: राकेश जैन बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

    मामला नंबर: सीआरआर-1403-2022 (ओ एंड एम)

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story