"अपराधिक प्रवृत्ति वालों से नरमी बरती तो जनता का आपराधिक न्याय प्रणाली से विश्वास उठ जायेगा", पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित स्नैचर को जमानत देने से इनकार किया
SPARSH UPADHYAY
31 July 2020 8:51 PM IST
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते सुनाये एक जमानत आदेश में स्नैचिंग के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते कहा कि यदि आरोपी को जमानत पर छोड़ा जाता है यह पूरी सम्भावना है कि वह अभियोजन पक्ष के सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए या तो गवाहों को धमकी देगा या मुकदमे में देरी करने हेतु फरार हो जायेगा।
न्यायमूर्ति एच. एस. मदान की एकल पीठ ने यह भी कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो उसके अपराध के मार्ग पर फिर से जाने की पूरी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अपराध के ग्राफ में वृद्धि होगी।
क्या था यह मामला?
शिकायतकर्ता गुड्डू शाह के मुताबिक 15-मार्च-2020 को लगभग 11 बजे, वह अपने दोस्त कमलेश के साथ टहल रहा था और जब वे लगभग 11:30 बजे अपनी बिल्डिंग के बगल वाली गली में एक किराने की दुकान के पास पहुँचे, तो 4 लड़के उनकी तरफ लपके, चारों ने उन्हें घेर लिया, उनकी गर्दन को अपनी बांह से दबाया और उन्हें पीटना शुरू कर दिया, उनसे कहा कि जो कुछ भी कीमती सामान उनके पास था, वो उसे बाहर निकाल दें, अन्यथा, ऐसे हमलावरों द्वारा उनका गला घोंटा जाएगा।
हमलावरों में से 2 ने शिकायतकर्ता और कमलेश की गर्दन दबा दी, जबकि अन्य 2 उनकी पिटाई कर रहे थे और अंततः वे मोबाइल फोन, महत्वपूर्ण दस्तावेज और करेंसी नोट के रूप में कीमती सामान निकाल कर स्कूटी से फरार हो गए।
इस मामले में बाद में औपचारिक प्राथमिकी दर्ज की गई थी; इस मामले में 4 लोगों, अजय @ बाबूगंगा (मौजूदा जमानत आवेदनकर्ता), सोहेल @ छोटू @ बिल्ला, नितिन @ तीरा एवं राजाराम @ राजा को गिरफ्तार किया गया।
शिकायतकर्ता ने उन चारों की पहचान हमलावर लुटेरों के रूप में की। चारों ने अपने कब्जे से छीना हुआ सामान भी निकाला। अन्वेषण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद, उनके खिलाफ चालान दायर किया गया।
इसके बाद, याचिकाकर्ता/अभियुक्त अजय ने चंडीगढ़ में सत्र न्यायालय के समक्ष नियमित जमानत देने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे अतिरिक्त सेशंस जज ने खारिज कर दिया था। उसके बाद उसने हाईकोर्ट से संपर्क किया, हालाँकि यूटी चंडीगढ़ के लिए पेश अतिरिक्त पीपी ने उसका विरोध किया।
अदालत का मत
अदालत ने स्नैचिंग के मामलों में होती वृद्धि को रेखांकित करते हुए कहा,
"इलाके में स्नैचिंग की वारदात खतरनाक दर से बढ़ रही है। सामान्य लोग विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे अपने घरों से बाहर निकलने से डरते हैं, खासकर शाम और देर रात में। आम लोगों से कीमती सामान छीनने की प्रक्रिया में, अपराधी लोगों को शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचाते हैं, खासकर जब उनके द्वारा कुछ प्रतिरोध की पेशकश की जाती है। लोगों के दिमाग में किसी न किसी तरह का डर बैठ गया है।"
अदालत ने मुख्य रूप से यह टिप्पणी की कि,
"इस प्रकार के अपराधियों से दृढ़ता से निपटा जाना आवश्यक है और उनके प्रति किसी भी प्रकार की नरमी नहीं दिखाई जा सकती है, वरना जनता का आपराधिक न्याय प्रणाली में विश्वास खोना शुरू हो जायेगा।"
अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर भी गौर किया कि वर्तमान मामले में, एफआईआर में, हालांकि हमलावर लुटेरों का नाम दर्ज नहीं है, लेकिन शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया था कि वह उन्हें पहचान सकता है यदि वे उसके सामने लाए गए तो।
आगे अदालत ने देखा कि
"जब वे अपराधी गिरफ्तार किए गए थे, तो शिकायतकर्ता ने उन्हें पहचान लिया था और ऐसे अपराधियों से शिकायतकर्ता और कमलेश से लूटी गयी चीज़ों की बरामदगी भी हुई, जो स्पष्ट रूप से घटना में उनकी (हमलावरों की) भागीदारी को दर्शाता है।"
यूटी चंडीगढ़ के लिए पेश अतिरिक्त पीपी द्वारा दायर हिरासत प्रमाण पत्र के अनुसार, याचिकाकर्ता/अभियुक्त लगभग समान प्रकृति के दो अन्य आपराधिक मामलों में शामिल पाए गए। जिसके आधार पर अदालत ने यह देखा कि वे आदतन अपराधी (habitual offender) हैं।
अंत में, अदालत का मत यह रहा कि अभियुक्त के खिलाफ चालान दायर किया गया है; उसका अपराध, परीक्षण (Trial) के दौरान निर्धारित किया जाएगा। मौजूदा परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता को नियमित जमानत देने के लिए अदालत ने कोई आधार नहीं पाया।
केस विवरण
केस नंबर: CRM-M-17930-2020 (O&M)
केस शीर्षक: अजय बनाम यूटी चंडीगढ़ In Reference v. Union of India
कोरम: न्यायमूर्ति एच. एस. मदान