भविष्य निधि और मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा प्राप्त अन्य आर्थिक लाभ का मोटर दुर्घटना दावे के साथ कोई संबंध नहीं: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

23 Aug 2022 8:54 PM IST

  • Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि भविष्य निधि, पेंशन, बीमा, बैंक बैलेंस, शेयर, सावधि जमा आदि किसी की मृत्यु के बाद वारिसों को मिलने वाले आर्थिक लाभ हैं, लेकिन इन सभी का मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे के रूप में प्राप्य राशि के साथ कोई संबंध नहीं है। यह कानून केवल दुर्घटना में मृत्यु के कारण लागू होता है।

    जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने कहा,

    "मुख्य कारण यह है कि ये सभी राशियां मृतक दूसरों के साथ किए गए संविदात्मक संबंधों के कारण अर्जित करता है। यह नहीं कहा जा सकता है कि ये राशि मृतक के आश्रितों या कानूनी वारिसों को मोटर वाहन दुर्घटना में उसकी मृत्यु के कारण अर्जित हुई हैं। मोटर वाहन दुर्घटना में मृतक की मृत्यु के परिणामस्वरूप दावेदार / आश्रित मोटर वाहन अधिनियम के तहत उचित मुआवजे के हकदार हैं।"

    पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, कुपवाड़ा द्वारा एक दावा याचिका पर पारित एक निर्णय के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत न्यायाधिकरण ने अपीलकर्ता बीमा कंपनी को दावा संस्थापन की तिथि से वसूली तक 7.5% वार्षिक ब्याज सहित 32,43,212 रुपये की राशि में मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

    अपीलकर्ताओं ने मुख्य रूप से इस आधार पर अवॉर्ड को चुनौती दी कि न्यायाधिकरण यह मानने में विफल रहा कि मृतक एक सरकारी कर्मचारी था, जो वन विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में कार्यरत था और वन प्रभाग, कुपवाड़ा में तैनात था, जिसका अर्थ था कि उसके कानूनी उत्तराधिकारी सात साल की अवधि के लिए पूर्ण वेतन के हकदार होंगे और इसलिए, मुआवजे के भुगतान का आकलन करते समय उक्त तथ्य को ध्यान में रखना ट्रिब्यूनल पर निर्भर था, लेकिन इस पहलू को ट्रिब्यूनल द्वारा आक्षेपित निर्णय पारित करते समय नजरअंदाज कर दिया गया था।

    इस मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि मुआवजे की राशि में बीमा या पेंशन लाभ या ग्रेच्युटी या मृतक के परिजनों को रोजगार देने के कारण कटौती की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

    मामले में खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों की जांच की और दोहराया कि किसी कर्मचारी की सेवा में मृत्यु के मामले में अनुकंपा नियुक्ति को भी किसी की मृत्यु के कारण वारिसों द्वारा प्राप्त लाभ के रूप में नहीं गिना जा सकता है और ‌आकस्‍मिक मृत्यु के कारण प्राप्य राशि से इसका कोई संबंध नहीं है।

    अपील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा,

    "मैंने प्रतिवादियों/दावेदारों के विद्वान वकील की दलीलों पर विचार किया है और अपील में कोई दम नहीं पाया क्योंकि ट्रिब्यूनल ने दावेदारों के पक्ष में सिर्फ मुआवजा दिया है और इसके ‌किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकताहै।"

    केस टाइटल: यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम जवाहिरा बेगम और अन्‍य

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (जेकेएल) 115

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