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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटी द्वारा स्थापित विभाजन मुकदमे में दहेज के रूप में दी गई संपत्तियों को भी शामिल किया जाएगा: कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
25 Feb 2022 9:58 AM GMT
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटी द्वारा स्थापित विभाजन मुकदमे में दहेज के रूप में दी गई संपत्तियों को भी शामिल किया जाएगा: कर्नाटक हाईकोर्ट
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Karnataka High Court

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि बेटी की शादी के समय जो संपत्ति दहेज या किसी अन्य रूप में दी गई है, वह विभाजन के लिए उत्तरदायी होगी और बेटी की ओर से विभाजन के स्‍था‌पित मुकदमे में उसे शामिल करना होगा। जस्टिस सूरज गोविंदराज की एकल पीठ ने विभाजन के लिए दायर एक मुकदमे में यह टिप्‍पणी की।

मामला

याचिकाकर्ता हेमलता ने 8 अगस्त, 2018 को सिटी सिविल जज बेंगलुरु की ओर से पारित आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने अपने आदेश में याचिकाकर्ता द्वारा दायर विभाजन के मुकदमे में उसके भाई के ओर से दायर आवेदन को अनुमति दी थी, जिसने मुकदमे में दो संपत्तियों को शामिल करने की मांग की थी। दावा किया गया था कि उन संपत्तियों को शादी के समय दहेज में दिया गया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ए नागराजप्पा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने संशोधन के लिए आवेदन की अनुमति देने के लिए कोई कारण नहीं दिया गया था और इसलिए, इस तरह के आदेश को रद्द करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह कहा गया कि आइटम नंबर 9 संपत्ति याचिकाकर्ता के ससुर ने खरीदी थी और आइटम नंबर 10 को उनके पति ने खुद के धन से खरीदा था और इसलिए, वे विभाजन के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

इसके विपरीत, प्रतिवादी भाई की ओर से पेश अधिवक्ता पृथ्वी राज बीएन ने तर्क दिया कि आइटम नंबर 9 और 10 में शामिल संपत्ति, जिसे संशोधन के माध्यम से पेश करने की मांग की गई थी, दहेज के रूप में दी गई थी और इसलिए, विभाजन के लिए एक वाद में, उक्त संपत्तियां भी विभाजन के लिए उत्तरदायी होंगी।

निष्कर्ष

रिकॉर्ड को देखने पर अदालत की राय थी कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 के तहत एक लाभार्थी विवाह के समय दहेज/उपहार या अन्यथा के रूप में उसके द्वारा पहले से प्राप्त संपत्तियों के संदर्भ के बिना संयुक्त परिवार की संपत्तियों के संबंध में विभाजन के माध्यम से लाभ का दावा नहीं कर सकता है।

कोर्ट ने यह देखा, "उक्त संपत्तियां संयुक्त परिवार की संपत्ति का हिस्सा हैं और वादी ने इसे प्राप्त किया है, विभाजन के न्यायसंगत होने के लिए इसे भी विभाजन के मुकदमे का हिस्सा बनाना होगा, इसलिए वह संपत्तियां भी विभाजन के लिए भी उत्तरदायी होंगी।"

अदालत ने यह भी देखा कि क्या विचाराधीन संपत्ति स्वतंत्र रूप से खरीदी गई थी और विभाजन के लिए उत्तरदायी नहीं होगी, यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर ट्रायल कोर्ट को फैसला करना होगा और वह इस पर फैसला नहीं कर सकता है।

पीठ ने कहा,

"यह पक्षकारों को परीक्षण के दरमियान स्थापित करना होगा कि संपत्ति संयुक्त परिवार की थी या नहीं। यदि संपत्तियां संयुक्त परिवार की हैं तो वे विभाजन के लिए उत्तरदायी होंगी। यदि वादी यह स्थापित करने में सक्षम रहे कि संपत्तियां स्वतंत्र रूप से उन्होंने खुद के धन से खरीदी थीं और उक्त संपत्तियां संयुक्त परिवार की संपत्ति नहीं हैं तो यह विभाजन के लिए उत्तरदायी नहीं होगी। ट्रायल कोर्ट ट्रायल के बाद ही इस पहलू का पता लगा पाएगी।"

केस शीर्षक: हेमलता बनाम वेंकटेश

केस नंबर: 2018 की रिट याचिका संख्या 39982

‌‌सिटेशन: 2022 लाइवलॉ (कर्नाटक) 52

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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