परिवार की देखभाल करने वाले करीबी रिश्तेदारों के महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने से कैदी को वंचित नहीं किया जा सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

31 Oct 2021 11:35 AM GMT

  • परिवार की देखभाल करने वाले करीबी रिश्तेदारों के महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने से कैदी को वंचित नहीं किया जा सकता :  पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि किसी बंदी (prisoner) किसी महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि कैदी के करीबी रिश्तेदार आमतौर पर कैदी व्यक्ति के परिवार के सदस्यों की देखभाल करते हैं। कैदी के ऐसे करीबी रिश्तेदारों के किसी महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने से कैदी को वंचित नहीं किया जा सकता।

    न्यायमूर्ति अनूप चितकारा ने पारिवारिक विवाह में शामिल होने के आधार पर पैरोल देने की मांग कर रहे एक कैदी द्वारा दायर याचिका पर विचार करते हुए उक्त टिप्पणी की।

    कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि याचिकाकर्ता पैरोल नियमों के तहत पैरोल पाने का हकदार नहीं है, किंतु यदि तथ्य और परिस्थितियां इस तरह के पैरोल को सही ठहराती हैं तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 की आभा इस तरह के किसी भी प्रतिबंध को हटा देगी।

    किसी कैदी को एक महत्वपूर्ण परिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि परिवार के सदस्य और करीबी रिश्तेदार, दोस्त और पड़ोसी आमतौर पर कैद में रहने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों की देखभाल करते हैं।"

    कैदी भी उनके सहयोग, समर्थन और यहां तक ​​कि वित्तीय मदद के लिए भी तरसता है। बदले में ऐसे व्यक्ति भी कैदी से अपने पवित्र पारिवारिक कार्यों में भाग लेने की उम्मीद करेंगे, जो पूरी तरह से जानते हैं कि इस तरह की उपस्थिति सामाजिक बहिष्कार या निराशा के जोखिम से भरी है।"

    याचिकाकर्ता आईपीसी की धारा 392, 397, 302 और धारा 120बी, आर्म्स एक्ट की धारा 25, 54 और धारा 59 के तहत अपराधों के संबंध में सजा काट रहा है।

    याचिकाकर्ता का यह मामला था कि संबंधित जेल अधीक्षक को उनके लिखित अनुरोध पर कोई जवाब नहीं मिलने के बाद पैरोल देने के लिए याचिका दायर की गई थी।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि कैदी व्यक्ति दूल्हे का एकमात्र मामा है और उसके लिए हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार धार्मिक भूमिकाएं निभाना महत्वपूर्ण है।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "इस याचिका की अनुमति है और याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों की संतुष्टि के लिए आवश्यक बांड प्रस्तुत करने के अधीन, चौदह दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया जाएगा।"

    कोर्ट ने हालांकि कहा कि पैरोल इस शर्त के अधीन होगी कि याचिकाकर्ता सभी हथियार, फायर आर्म्स, गोला-बारूद, यदि कोई हो, हथियार लाइसेंस के साथ रिलीज की अवधि के दौरान संबंधित प्राधिकरण को सौंप देगा और कोई अपराध नहीं दोहराएगा या कोई अपराध नहीं करेगा। .

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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