केरल हाईकोर्ट ने कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हवाई दुर्घटना की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज किया

LiveLaw News Network

19 Nov 2020 6:15 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हवाई दुर्घटना की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज किया

    केरल उच्च न्यायालय ने 7 अगस्त 2020 को कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हवाई दुर्घटना की जांच के लिए एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

    एडवोकेट यशवंत शेनॉय ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सेवानिवृत्त जजों की नियुक्ति कर हवाई दुर्घटना के बारे में खुली जांच की मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि जांच कभी भी स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं हो सकती है, जब तक कि यह जनता के लिए न हो और सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या कम से कम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में न हो। इसके साथ ही उन्होंने छोटे और बड़े दोनों तरह के विमानों के संचालन के लिए कालीकट हवाई अड्डे को स्थायी रूप से बंद करने के लिए एक दिशा-निर्देश देने की मांग की थी।

    मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. शैली की पीठ ने कहा कि विमान दुर्घटना (दुर्घटना और दुर्घटना जांच) नियम, 2017 में स्पष्ट प्रक्रिया है जो एक विमान दुर्घटना की जांच से निपटने के लिए निर्धारित है और यह पूरा मामला जांच के संबंंध में भारत सरकार और उपयुक्त वैधानिक प्राधिकरणों के नियंत्रण में है और यदि जांच के मामले में कोई कमी है, तो यह भारत सरकार या अधिकारी उचित समय पर उचित निर्णय ले सकते हैंं।

    अदालत ने यह भी देखा कि सीबीआई जांच की मांग भी प्रीमैच्योर है, क्योंकि यदि हवाई दुर्घटना में कोई आपराधिक तत्व शामिल है, तो इसकी पहचान केवल विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के आदेश के अनुसार नियुक्त जांच दल द्वारा की जा सकती है।

    पीठ ने कहा,

    "सही है, केंद्र सरकार को नियम 2017 के नियम 12 के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुसार एक औपचारिक जांच करने के लिए शक्तियों के साथ निहित है, लेकिन हम यह नहीं सोचते हैं कि नियम 5 के तहत AAIB द्वारा जांच एक अनिवार्य आवश्यकता है। संक्षेप में, हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका प्रीमैच्योर है, क्योंकि जांच उचित वैधानिक प्राधिकारी द्वारा नियुक्त जांचकर्ताओं द्वारा की जा रही है।

    जाँच के संबंध में पूरा मामला भारत सरकार और उपयुक्त वैधानिक अधिकारियों के नियंत्रण में है और यदि वें जांच के मामले में कोई कमी पाते हैंं, तो भारत सरकार या अधिकारी इसके लिए उचित समय पर उचित निर्णय ले सकते हैंं "

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