"पद का दुरुपयोग करके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना": दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार मामले में भारतीय वायु सेना अधिकारी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया
LiveLaw News Network
15 Sept 2021 2:21 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय सेना के एक अधिकारी को बलात्कार के एक मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि उसके अपराध को दोहराने या अपने पद का दुरुपयोग करके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा,
"पीड़िता ने प्राथमिकी में कहा है कि याचिकाकर्ता ने अन्य महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया है और इस पहलू की जांच अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता द्वारा अपराध को दोहराने और/या अभियोजन पक्ष पर दबाव डालने या अपने का दुरुपयोग करके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।"
आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, 506, 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। महिला (पीड़िता) द्वारा आरोप लगाया गया है कि पुरुष (आरोपी) अविवाहित होने का दावा करते हुए मार्च, 2017 से www.Simplymarry.com नामक एक वेबसाइट के माध्यम से उसके संपर्क में आया था।
आगे आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता आरोपी ने 2017 में अभियोक्ता को अपने घर ले जाकर उसके साथ छेड़छाड़ की थी। महिला का यह मामला था कि यह पता चलने के बाद कि याचिकाकर्ता के दो बच्चे हैं, उसने उससे बात करना बंद कर दिया जिसके बाद वह उसे अलग-अलग नंबरों से फोन करता था।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने उससे 2,60,000 रुपये कर्ज भी लिया है। महिला के मुताबिक, यह भी आरोप लगाया गया कि 2018 तक याचिकाकर्ता ने उसे प्रताड़ित किया और गालियां दीं।
याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत पिछले साल अक्टूबर में एक सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसने पहले उसे दी गई सुरक्षा का दुरुपयोग नहीं किया था, अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किया था कि उसने विवाहित होने के बावजूद वर्ष 2017 में वैवाहिक साइट में एक खाता खोला था।
कोर्ट ने कहा,
"एफआईआर का अवलोकन इंगित करता है कि याचिकाकर्ता विवाहित है और फिर भी वह वैवाहिक साइट का हिस्सा बन गया और वह भी एक अलग नाम का उपयोग कर रहा था जो दर्शाता है कि याचिकाकर्ता का शुरू से ही अभियोक्ता से शादी करने का कोई इरादा नहीं था। जांच जारी है। यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या उसने अन्य महिलाओं को भी लालच दिया है।"
कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह अच्छी तरह से तय है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 के तहत शक्ति एक असाधारण शक्ति है जिसका प्रयोग बहुत कम किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय गंभीर अपराध का आरोप है। जांच अभी भी चल रही है और पूरी नहीं हुई है। इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह अदालत याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है।
केस का शीर्षक: सतिंदर कुमार बनाम राज्य