'नीतिगत मामला': राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

1 July 2021 2:30 AM GMT

  • नीतिगत मामला: राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों को COVID-19 महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज किया।

    न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है जिस पर कार्यपालिका को निर्णय लेना है और अदालतों को इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।

    राजस्थान राज्य सरकार ने मार्च 2021 में मान्यता प्राप्त पत्रकार को फ्रंटलाइन वर्कर्स/कोविड योद्धा का दर्जा दिया और उन्हें COVID-19 राहत के लिए ड्यूटी के दौरान मरने वाले मृतक को 50,00,000 रूपये की सहायता बीमा योजना में शामिल किया। हालांकि, यह लाभ गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को नहीं प्रदान किया गया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि,

    "उनके पास कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं है और कर्तव्य के दौरान दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के मामले में, उनके पास प्रबंधन या सरकार से अनुग्रह मुआवजे का कोई साधन भी नहीं है।"

    याचिका में कहा गया है कि,

    "गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकार / मीडियाकर्मियों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना महत्वपूर्ण है जो वर्तमान संकट में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का काम कर रहे हैं।"

    याचिका में कहा गया है कि कैसे एक ही संगठन में काम कर रहे दो सहयोगियों, एक ही पद पर और एक ही काम को करने के लिए अलग-अलग व्यवहार किया जा रहा है, केवल इस कारण से कि एक मान्यता प्राप्त है और दूसरा नहीं है। याचिका में लिखा है कि कोई समानता नहीं है और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

    याचिका में कहा गया है कि,

    "गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों/मीडिया व्यक्तियों की सरकार से वैध अपेक्षाएं हैं कि मान्यता प्राप्त पत्रकार/मीडिया व्यक्ति के साथ समान व्यवहार किया जाए। प्रतिवादी का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे कानून बनाएं जो लोगों की समान प्रकृति के बीच समानता प्रदान करें।"

    कोर्ट ने कहा कि,

    "याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को सुनने के बाद हम पाते हैं कि रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए इस न्यायालय के हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता है, क्योंकि वर्तमान मामले में शामिल मुद्दा एक नीतिगत निर्णय से संबंधित है, जिसे प्रतिवादी द्वारा तय किया जाना है। इसके साथ ही इस याचिका को खारिज किया जाता है।"

    केस का शीर्षक: विवेक सिंह बनाम राजस्थान राज्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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