बिहार में जिला जज पर हमला: पटना हाईकोर्ट न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों पर विचार करेगा

LiveLaw News Network

21 Dec 2021 8:31 AM GMT

  • बिहार में जिला जज पर हमला: पटना हाईकोर्ट न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों पर विचार करेगा

    पटना हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी मृगंक मौली को राज्य के अन्य अंगों या निजी व्यक्तियों के हस्तक्षेप के बिना न्यायपालिका के सुचारू कामकाज के लिए दिशानिर्देश प्रस्तावित करने के लिए कहा है।

    पीठ ने बिहार के मधुबनी में दो पुलिसकर्मियों द्वारा एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के हमले में स्वत: संज्ञान याचिका में यह बात कही।

    अदालत ने आदेश में उल्लेख किया,

    "एमिकस क्यूरी मृगांक मौली भी कुछ प्रस्तुतियां दी हैं और (1991) 4 SCC 406 (दिल्ली न्यायिक सेवा संघ बनाम गुजरात राज्य) में रिपोर्ट किए गए निर्णय का उल्लेख किया है। वह प्रस्तुत करता है कि वह दिशा-निर्देशों के मुद्दे पर न्यायालय को संबोधित करेगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यायपालिका राज्य या किसी निजी व्यक्ति के हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र तरीके से कार्य करने में सक्षम है।"

    न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ को महाधिवक्ता ललित किशोर ने भी सूचित किया कि आपराधिक अन्वेषण विभाग किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोककर, जो कार्यवाही के उचित पाठ्यक्रम में बाधा उत्पन्न कर सकता है, ईमानदारी से जांच जारी रखेगा।

    अदालत को महाधिवक्ता द्वारा यह भी सूचित किया गया है कि सीआईडी द्वारा दो सप्ताह में एक और स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

    अदालत को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) से 9 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट भी मिली है।

    पिछली सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने जांच को आपराधिक अन्वेषण विभाग (सीआईडी) को स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी।

    पीठ ने यह भी निर्देश दिया था कि जांच एक ऐसे अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो पुलिस अधीक्षक के पद से नीचे का न हो और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की सीधी निगरानी में जांच होनी चाहिए, जो सीआईडी का प्रमुख होता है।

    मामले को आगे की सुनवाई के लिए 10 जनवरी, 2022 को सूचीबद्ध किया गया है।

    पृष्ठभूमि

    पटना हाईकोर्ट ने 18 नवंबर, 2021 को झंझारपुर में एडीजे अविनाश कुमार के कक्षों में हुई भयानक घटना का स्वत: संज्ञान लिया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मधुबनी से घटनाओं के क्रम का वर्णन करते हुए एक पत्र प्राप्त होने के बाद अदालत ने इस घटना का संज्ञान लिया था।

    पटना हाईकोर्ट को प्राप्त हुए पत्र के अनुसार, घोघरडीहा के दो पुलिसकर्मियों ने न्यायाधीश पर शारीरिक हमला किया था। यहां तक कि न्यायाधीश द्वारा उनके मौखिक दुर्व्यवहार पर ध्यान न देने पर उस पर बंदूक भी तान ली थी।

    उसी घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने न्यायाधीश पर इस तरह के हमले की गंभीरता के बारे में अपना दुख व्यक्त किया, जैसा कि पत्र में बताया गया।

    अदालत ने अपने आदेश में नोट किया,

    "प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। इस प्रकार, हम प्रतिवादी नंबर दो से पांच अर्थात मुख्य सचिव, बिहार सरकार, पटना, पुलिस निदेशक, बिहार, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार, पटना और पुलिस अधीक्षक, मधुबनी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं।"

    जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पत्र में यह भी बताया गया कि एडीजे को और नुकसान से बचाते हुए कुछ वकील और अदालत के कर्मचारी समय पर मौके पर पहुंचे।

    केस का शीर्षक: स्वत: संज्ञान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मधुबनी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य। केस नंबर: सीडब्ल्यूजेसी-19402/2021

    आदेश की कॉपी पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:


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