'पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में सतर्क रहना चाहिए': बॉम्बे हाईकोर्ट ने शख्स पर गलत केस बनाने को लेकर फटकार लगाई, मुआवजा देने का आदेश दिया
Brij Nandan
6 Jan 2023 11:19 AM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक स्विगी फूड डिलीवरी एजेंट के खिलाफ गलती से एक आवारा कुत्ते को मारने के लिए गलत तरीके से एफआईआर दर्ज करने के पर राज्य को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि मुंबई पुलिस अधिकारी के वेतन से 20,000 रुपए का जुर्माना वसूल किया जाएगा।
कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा,
"पुलिस को कानून का संरक्षक होने के नाते, एफआईआर दर्ज करते समय और निश्चित रूप से बाद में चार्जशीट दाखिल करते समय अधिक चौकस और सतर्क रहने की जरूरत है।"
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा,
"यह देखते हुए कि पुलिस ने किसी भी अपराध का खुलासा नहीं होने के बावजूद मुकदमा दर्ज किया था, हम याचिकाकर्ता को 20,000 रुपये का जुर्माने का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देना उचित समझते हैं। हालांकि, उस जुर्माने की वसूली प्राथमिकी दर्ज करने और बाद में चार्जशीट दाखिल करने के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों के वेतन से की जाएगी।"
क्या है पूरा मामला?
मरीन ड्राइव पुलिस ने एक 18 वर्षीय फूड डिलीवरी मैन पर आईपीसी की धारा 229 और 337 के तहत मानव जीवन को खतरे में डालने और धारा 429 आईपीसी के तहत एक जानवर को मारने की शरारत करने का मामला दर्ज किया था। उन पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 (ए) (बी) के तहत भी आरोप लगाए गए थे।
शिकायतकर्ता डॉग फीडर ने आरोप लगाया कि डिलीवरी बॉय बाइक स्पीड में चला रहा था। उसने सड़क पर एक आवारा कुत्ते को टक्कर मारी, जिससे कुत्ते की मौत हो गई।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील तृप्ति शेट्टी ने तर्क दिया कि 11 अप्रैल, 2020 को लॉकडाउन के दौरान अपीलकर्ता मानस गोडबोले फूड देने जा रहा था। याचिकाकर्ता गति सीमा के भीतर चला रहा था, तभी अचानक एक आवारा कुत्ता उसकी बाइक के सामने आ गया। कुत्ते को बचाने के प्रयास में, याचिकाकर्ता ने अचानक अपनी बाइक का ब्रेक लगाया और साइड में मुड़ गया। हालांकि, दुर्भाग्य से, कुत्ता भी उसी तरफ चला गया, और इस प्रक्रिया में, याचिकाकर्ता गिर गया और कुत्ते को चोटें आईं और बाद में कुत्ते का निधन हो गया।
कोर्ट ने क्या कहा?
शुरुआत में, पीठ ने केवल मनुष्यों के लिए आईपीसी की कुछ धाराओं को लागू करने के लिए पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह पूरी तरह से दिमाग का उपयोग नहीं और तर्क की अवहेलना थी।
अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी धारा लागू नहीं होगी, खासकर इसलिए कि जिस तरह से दुर्घटना हुई, उसमें कोई डिलवरी बॉय की कोई गलती नहीं थी।
कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक कुत्ते/बिल्ली को उनके मालिक बच्चे या परिवार के सदस्य के रूप में मानते हैं, लेकिन वे इंसान नहीं हैं।