पंचायत चुनाव के दौरान पुलिस अधिकारियों पर हमला- "पुलिस ने एफआईआर में 45 अज्ञात व्यक्तियों का नाम लिया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आरोपी को अग्रिम जमानत दी
LiveLaw News Network
22 Jun 2021 5:13 AM GMT
![Unfortunate That The Properties Of Religious And Charitable Institutions Are Being Usurped By Criminals Unfortunate That The Properties Of Religious And Charitable Institutions Are Being Usurped By Criminals](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/02/19/750x450_389438-lucknow-bench.jpg)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के दौरान चुनाव ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों पर हमला के एक आरोपी को अग्रिम जमानत दी। कोर्ट ने देखा कि पुलिस अधिकारी ने प्राथमिकी में 45 अज्ञात व्यक्तियों का नाम लिया है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने आरोपी राजकुमार को यह कहते हुए जमानत दी कि वर्तमान मामले में हिरासत में पूछताछ आवश्यक नहीं है।
आरोपी राजकुमार की ओर से वर्तमान अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी। राजकुमार के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 332, 353, 504, 506, 427, 336, 307, 34 और आपराधिक कानून संशोधन की धारा 7 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 131, 132 (3), 135ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
आरोपी राजकुमार वकील ने कहा कि राजकुमार दोपहर में वोट डालने के बाद 50 किलोमीटर दूर अपने मामा के घर गया। अपने गांव से दूर और उसे पता चला कि बूथ (जहां उन्होंने अपना वोट डाला) पर कुछ अनियमितताएं हुईं, जिसे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर रिपोर्ट किया और अधिकारियों से आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया।
वकील ने इसके अलावा कहा कि आवेदक पिछड़ी जाति से आता है। उसको जानबूझकर उच्च वर्ग के लोगों द्वारा फंसाया जा रहा है। प्रतिद्वंद्वियों (उच्च वर्ग से) के कहने पर एफआईआर में उसका नाम लिया गया है। कुछ लोग बदला ले रहे हैं क्योंकि उनका धारणा है कि आवेदक ने अपना वोट उनके पक्ष में नहीं डाला है।
वकील ने अंत में प्रस्तुत किय कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और जांच के दौरान हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, इसलिए आवेदक जमानत का हकदार है।
दूसरी ओर, ए.जी.ए. ने आवेदक की प्रार्थना का विरोध किया और प्रस्तुत किया कि उक्त घटना में आवेदक सहित कई ग्रामीणों ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया था और उक्त घटना में चार पुलिस कर्मियों को चोटें आईं, इसलिए आवेदक जमानत का हकदार नहीं है।
कोर्ट ने यह देखा कि पुलिस अधिकारी ने प्राथमिकी में 45 अज्ञात व्यक्तियों का नाम लिया है। इसके बाद अदालत ने अंतरिम उपाय के रूप में आरोपी राजकुमार को अग्रिम जमानत दी।
मामले में आवेदक की ओर से अधिवक्ता दयाशंकर यादव पेश हुए।
केस टाइटल- राज कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य