''पुलिस इस मामले की जांच से अपना पल्ला झाड़ रही है " : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस आयुक्त को दिया निर्देश, पुलिस क्रूरता के कारण हुई मौत के मामले की जांच के लिए गठित करें एसआईटी

LiveLaw News Network

18 Aug 2020 11:21 AM GMT

  • पुलिस इस मामले की जांच से अपना पल्ला झाड़ रही है  : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस आयुक्त को दिया निर्देश, पुलिस क्रूरता के कारण हुई मौत के मामले की जांच के लिए गठित करें एसआईटी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह 24 घंटे के अंदर ''एकदम स्वच्छ छवि और निर्विवाद क्षमता'' वाले दो अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम गठित करें ताकि वह विले पारले मेंं 22 वर्षीय व्यक्ति की मौत की जांच ''स्वतंत्र और निष्प्क्ष'' रूप से कर सकें। पारले पर लाॅकडाउन के दौरान 29 मार्च को पुलिस अधिकारियों ने हमला किया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी।

    मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ इस मामले में एक वकील फिरदौस ईरानी की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस जनहित याचिका में उसने लाॅकडाउन के दौरान पुलिस की बर्बरता के मामलों को उजागर करते हुए पुलिस को निर्देश देने की मांग की थी।

    राज्य ने पहले अदालत को सूचित किया था कि कथित रूप से घातक हमले के लिए सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से चार पुलिसकर्मियों की पहचान की गई है। सरकारी वकील पूर्णिमा कंठारिया ने पीठ को बताया था कि उक्त पुलिसकर्मियों ने मृतक को अनुशासित करने के लिए फाइबर लाठियों का इस्तेमाल किया था। ऐेसे में क्या मृतक की मौत इन फाइबर लाठियों के कारण लगी चोट के कारण हुई है,यह एक जांच का विषय है? जिस पर आगे की जांच की जरूरत है।

    न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, 17 अगस्त, 2020 को एक स्टेटस रिपोर्ट, सुहास रायकर, सहायक पुलिस आयुक्त, सांताक्रूज डिवीजन, मुंबई द्वारा दायर की गई थी। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद पीठ ने उक्त मामले की जाँच में बरती जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताई-

    ''हमने रिपोर्ट पढ़ी है और जिस तरह से इस मामले की जांच मुंबई पुलिस द्वारा नियंत्रित की जा रही है, हम उससे नाराज हैं। 10 अप्रैल से 23 जुलाई, 2020 के बीच जो अतिरिक्त पुलिस आयुक्त इस मामले की जांच के प्रभारी थे,वह 29 जुलाई, 2020 से बीमारी की छुट्टी पर चले गए। जिसके परिणामस्वरूप श्री रायकर को जांच सौंपी गई। श्री रायकर ने 14 अगस्त, 2020 को जांच का जिम्मा संभाला है। जाहिर है, इतने कम समय में वह जांच को ज्यादा आगे नहीं बढ़ा सके हैं। इसलिए उन्होंने जांच पूरी करने के लिए कुछ समय दिए जाने की प्रार्थना की है।''

    इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि-

    ''मृतक पीड़ित पर पुलिस की ज्यादती के आरोप सामने आने के बाद, हमने अपने पिछले आदेश में साफ शब्दों में चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि अपराध की स्वतंत्र, निष्पक्ष और सार्थक जांच होनी चाहिए। हमने मुंबई पुलिस से अपेक्षा की है कि वह मामले की जांच अत्यधिक मेहनत से पूरी करेगी। ताकि एक विश्वसनीयता की भावना प्रदान कर सकें।

    प्रथम दृष्टया, पुलिस अपने पैरों को घसीट रही है या ठीक से जांच नहीं कर रही है और जो स्थिति सामने आई है, उसमें अभी काफी कुछ होना बाकी है। इसलिए हमारे पास एक ही विकल्प बचा है कि हम पुलिस आयुक्त ,मुंबई पुलिस को निर्देश दें कि वह ''एकदम स्वच्छ छवि और निर्विवाद क्षमता'' वाले दो पुलिस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम गठित करें। इस आदेश की काॅपी प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर पुलिस आयुक्त ऐसे अधिकारियों को नियुक्त कर दें। जिसके बाद इस जांच टीम में शामिल किए गए अधिकारियों को जांच के दौरान एकत्र किए गए सभी कागजात, दस्तावेज और सामग्री सौंप दी जाए।''

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने तर्क दिया कि उनके पास कम से कम 13 ऐसे विडियों हैं,जिनमें लाॅकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में पुलिस नागरिकों पर हमला कर रही है। कोर्ट ने कहा कि इस तर्क के दो पक्ष हैं क्योंकि कई नागरिकों ने लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन किया है जो सही नहीं है।

    अंत में, पीठ ने कहा-

    ''हम आशा और विश्वास करते हैं कि विशेष जांच दल निष्पक्ष, कुशलतापूर्वक और सार्थक रूप से इस मामले की जांच पूरी करेगा। ताकि वह मामले की अगली सुनवाई पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट रखने की स्थिति में हो सकें। इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 सितंबर, 2020 को होगी।

    इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह कथित पुलिस बर्बरता को रोकने के लिए सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होगा। "

    आदेश की काॅपी डाउनलोड करें।



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