शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव में है पुलिस बलः मद्रास हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए राज्य से पूछे कई सवाल

LiveLaw News Network

10 Dec 2020 8:00 AM GMT

  • शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव में है पुलिस बलः मद्रास हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए राज्य से पूछे कई सवाल

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट (मदुरै खंडपीठ) ने सोमवार (07 दिसंबर) को पुलिस बल में हो रही आत्महत्याओं और पलायन की घटनाओं पर ध्यान देते हुए कहा कि ''पुलिस बल में कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है और यही कारण है कि पुलिस की इतनी सारी वास्तविक शिकायतें को संबोधित नहीं किया जा रहा है।''

    न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने यह भी कहा कि ''वर्दीधारी पुलिस बल शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से तनाव में है।''

    यह देखते हुए कि ''निराश पुलिस कर्मी भावनात्मक निर्णय लेते हैं'' बेंच ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि ''पुलिस कांस्टेबलों को अपने बच्चों के जन्मदिन, शादी समारोह या त्योहारों में शामिल होने के लिए अनुचित रूप से छुट्टी देने से इनकार कर दिया जाता है।''

    इस संदर्भ में, न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि कभी-कभी, हालात पुलिस कर्मियों को 24 घंटे काम करने के लिए मजबूर करते हैं, ''पर्याप्त आराम और छुट्टी के बिना और एक दिन की छुट्टी भी नहीं मिल पाती है, जबकि अन्य विभागों के कर्मचारी हर हफ्ते दो दिन की छुट्टियों का आनंद ले रहे हैं।''

    अदालत ने आगे कहा कि अधिकांश पुलिस कर्मियों में तनाव प्रबंधन कौशल की कमी है, इसलिए उनमें से कुछ शराब के आदी हैं और कुछ आत्महत्या करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं।

    महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने कहा,

    ''जब तक पुलिस बल के कल्याण को ठीक से नहीं देखा जाएगा और उनके मनोबल को बनाए नहीं रखा जाएगा, कानून और व्यवस्था को बनाए रखना और अपराधों का पता लगाना और उन्हें रोकना बहुत मुश्किल है।''

    न्यायालय के समक्ष मामला

    राज्य में पुलिस बल की प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और कांस्टेबल व सब-इंस्पेक्टर के पद पर रिक्तियों को भरने और उच्च वेतन का भुगतान करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी।

    इसके लिए, न्यायालय ने यह भी देखा कि पुलिस बल में एसोसिएशन की कमी के कारण पुलिस की समस्याएं उजागर नहीं हो पाती हैं।

    कोर्ट ने जताई चिंता

    खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्राथमिक स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों को पुलिसकर्मियों की तुलना में अधिक वेतन मिल रहा है और अन्य राज्यों की तुलना में तमिलनाडु में काम करने वाले पुलिसकर्मियों का वेतन बहुत कम है।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि,

    ''काम का दबाव, लंबे समय तक काम, तनाव और परिवार से अलगाव पुलिस कर्मियों को प्रभावित कर रहा है।''

    महत्वपूर्ण रूप से, न्यायालय ने उल्लेख किया कि,

    ''आजकल, पुलिस बल बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहा है। तनाव और काम के दबाव के कारण आत्महत्या और नौकरी से परित्याग करने की बढ़ती संख्या बल के मनोबल को प्रभावित कर रही है।''

    इसके अलावा, न्यायालय ने निम्नलिखित प्रश्न उठाए,जिनका जवाब प्रतिवादियों को देना हैः

    (ए) पुलिसकर्मियों को आम तौर पर किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

    (बी) क्या उच्च अधिकारियों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए कोई तंत्र उपलब्ध है, क्योंकि पुलिस बल में पुलिस एसोसिएशन प्रतिबंधित है?

    (सी) क्या पुलिस बल को समय-समय पर पदोन्नति दी जाती है?

    (डी) क्या 1979 में पारित सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हुए अर्दली प्रणाली को लागू किया गया है या अभी भी पुलिस बल इसका पालन कर रहा है?

    (ई) क्या पुलिस बल को एक दिन की वैधानिक छुट्टी दी जा रही है?

    (एफ) सप्ताह के अंत में छुट्टी के दिन काम करने की एवज में भत्ते क्यों नहीं दिए जाते हैं?

    (जी) क्या पुलिस के लोगों को सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए छुट्टी दी जाती है और उनके बच्चों के जन्मदिन समारोह में भी?

    (एच) पिछले 10 वर्षों में कितने लोग पलायन कर गए हैं?

    (आई) पिछले 10 वर्षों में कितने पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की?

    (जे) स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कितने व्यक्तियों की मृत्यु हुई?

    (के) पुलिस बल में कितने पद रिक्त हैं? प्रत्येक विंग अर्थात, कानून और व्यवस्था, अपराध, यातायात, आदि के कैडर-वाइज और श्रेणीवार विवरण दिया जाए।

    (एल) पिछली भर्ती कब हुई थी और पुलिस बल में आज तक कितने पद रिक्त हैं?

    (एम) रिक्त पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

    (एन) मौजूदा अनुपात क्या है और पुलिसकर्मियों का आबादी को देखते हुए आवश्यक अनुपात क्या है?

    (ओ) क्या जनसंख्या में वृद्धि के अनुसार पुलिस बल की संख्या बढ़ाई गई है?

    (पी) क्या पुलिस बल को कोई विशेष बीमा लाभ दिया जा रहा है, क्योंकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए जोखिम का सामना कर रहे हैं? यदि ऐसा है, तो उस का विवरण दें?

    (क्यू) आज की तारीख में कितने पुलिस कर्मी आपराधिक मामलों और विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहे हैं?

    (आर) क्या यह तथ्य सही है कि पुलिसकर्मियों और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों का वेतनमान एक समय पर एक समान था और आज उनके वेतनमान के बीच बहुत बड़ा अंतर है?

    (एस) कर्तव्यों के निर्वहन में शामिल जोखिमों को देखते हुए पुलिस बल का वेतनमान क्यों नहीं बढ़ाया गया?

    उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर औतमिलनाडु और अन्य राज्यों में पुलिस बल के वेतनमान का एक तुलनात्मक विवरण प्रतिवादियों को 17.12.2020 को या उससे पहले दायर करना होगा।

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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