पुलिस सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए एफआईआर ट्रांसफर नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

9 Dec 2022 6:08 AM GMT

  • पुलिस सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए एफआईआर ट्रांसफर नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक बार मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित कर देता है तो पुलिस के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के संबंध में आपत्ति उठाने का अधिकार नहीं है।

    जस्टिस जसमीत सिंह ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त द्वारा दिए गए उस आदेश को खारिज करते हुए कहा, जिसमें अपहरण के आरोप वाली एफआईआर की जांच दिल्ली के मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन से उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा ट्रांसफर कर दी गई।

    कोर्ट ने कहा,

    "मजिस्ट्रेट द्वारा एक बार जांच का निर्देश देने के आदेश पारित होने के बाद क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के संबंध में आपत्ति उठाना पुलिस के लिए खुला नहीं है। वास्तव में वर्तमान मामले में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने दिल्ली से ग्रेटर नोएडा, यूपी में जांच ट्रांसफर कर दी। यह एमएम के आदेश पर पुनर्विचार करने के समान है, जिसका अधिकार केवल हाईकोर्ट के पास है।"

    दिल्ली निवासी जॉली सिंह ने 2018 में विभिन्न आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन में शिकायत की कि उन्होंने उसका अपहरण कर लिया और आयात सौदे को अंतिम रूप देने के लिए नोएडा ले गए। यह आगे आरोप लगाया गया कि उन्हें ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और उसे 5.75 करोड़ रुपये के चेक जारी करने के लिए भी मजबूर किया गया।

    उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद सिंह ने रोहिणी में संबंधित अदालत के समक्ष अर्जी दी। मॉडल टाउन थाने में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया। हालांकि, जांच के दौरान, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने 11 नवंबर, 2020 को एफआईआर को ग्रेटर नोएडा ट्रांसफर कर दिया।

    याचिकाकर्ता का यह मामला है कि ट्रांसफर कानून के विपरीत है और एसीपी के पास जांच को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर ट्रांसफर करने का कोई अधिकार नहीं है, खासकर जब अदालत द्वारा एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए गए, जो जांच की निगरानी भी कर रही थी।

    अभियोजन पक्ष ने जवाब में कहा कि पहले से ही दो आपराधिक मामले और सात अन्य मामले नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत पक्षों के बीच लंबित है। यह कहा गया कि एनआई अधिनियम के तहत सात मामले नोएडा में लंबित है और अन्य दो एफआईआर भी नोएडा में लंबित हैं, जिन्हें अंततः रद्द कर दिया गया।

    दिल्ली पुलिस ने जवाब में कहा,

    "कथित घटना पीएस सूरजपुर, नोएडा में हुई और जो जांच की गई, उसमें याचिकाकर्ता का दिल्ली से नोएडा में अपहरण नहीं हुआ था, क्योंकि याचिकाकर्ता खुद नोएडा चला गया। नतीजतन, दिल्ली पुलिस ने डीजीपी, यूपी पुलिस, लखनऊ के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, अपराध के आदेश संख्या 517/एसओ/अतिरिक्त सीपी/अपराध (मुख्यालय) दिनांक 02.12.2020 के तहत मामले की फाइल ट्रांसफर कर दी गई।"

    जस्टिस सिंह ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त का आदेश रद्द करते हुए कहा कि जब एमएम ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया तो पुलिस द्वारा क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के संबंध में कोई आपत्ति नहीं ली गई।

    अदालत ने कहा,

    "वर्तमान मामले में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने कानून के अनुसार एमएम के आदेश को चुनौती नहीं दी, बल्कि सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा, यूपी में जांच ट्रांसफर करके सक्षम अधिकार क्षेत्र की अदालत द्वारा पारित आदेश को दरकिनार कर दिया। इसके साथ ही अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने विवादित आदेश जारी करके अपीलीय अदालत के रूप में काम किया।"

    केस टाइटल: जॉली सिंह बनाम द स्टेट

    Next Story