[पॉक्सो एक्ट] पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिग होने पर हुई घटना के संबंध में पत्नी के आरोपों पर दर्ज मामले में आरोपी-व्यक्ति को जमानत दी

Brij Nandan

6 July 2022 4:12 AM GMT

  • [पॉक्सो एक्ट] पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिग होने पर हुई घटना के संबंध में पत्नी के आरोपों पर दर्ज मामले में आरोपी-व्यक्ति को जमानत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) ने हाल ही में POCSO अधिनियम के तहत दर्ज मामले में एक व्यक्ति को नियमित जमानत दी। मामले में शिकायतकर्ता यानी उसकी पत्नी ने पति (आरोपी) पर यौन उत्पीड़न (Sexual Assault) का आरोप लगाया था, जो कथित तौर पर उनकी शादी से पहले हुई थी, जब वह नाबालिग थी।

    जस्टिस विकास बहल की पीठ ने कहा कि प्राथमिकी में कथित घटना की कोई तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है और यह याचिकाकर्ता द्वारा वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर करने के बाद दर्ज की गई थी। इसके अलावा काफी मशक्कत के बाद एफआईआर दर्ज की गई।

    एफआईआर POCSO अधिनियम की धारा 6, 12 और 17 और आईपीसी की धारा 506, 376 (2) (एन), 323, 328 और 406 के तहत दर्ज की गई थी।

    एफआईआर में किसी घटना की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है और उक्त प्राथमिकी याचिकाकर्ता द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 9 के तहत याचिका दायर करने के बाद दर्ज की गई है। प्रथम दृष्टया यह भी प्रतीत होता है कि प्राथमिकी बहुत देरी के बाद दर्ज की गई थी।

    अदालत ने आगे कहा कि हलफनामे से पता चलता है कि शिकायतकर्ता ने बिना किसी दबाव के याचिकाकर्ता से शादी की और आधार कार्ड भी जो उसे शादी के समय वयस्क होने का सुझाव देता है।

    इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि याचिकाकर्ता किसी अन्य मामले में शामिल नहीं है और अभियोजन को समय लेना है और यह भी कि सह-आरोपी योगेश को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई है, अदालत ने याचिकाकर्ता को नियमित जमानत की राहत देने के लिए इसे उचित समझा। यह देखा गया कि याचिकाकर्ता 07.12.2021 से हिरासत में है और अभियोजन पक्ष के 22 गवाह हैं और उनमें से किसी से भी पूछताछ नहीं की गई है, इस प्रकार, मुकदमे में समय लगने की संभावना है।

    तदनुसार, अदालत ने वर्तमान याचिका की अनुमति दी और याचिकाकर्ता को नियमित आधार पर रिहा कर दिया। अगर वह गवाह को धमकाता या प्रभावित करता है तो उसे रद्द कर दिया जाता है।

    कोर्ट ने आदेश में कहा कि उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान याचिका की अनुमति दी जाती है और याचिकाकर्ता को संबंधित ट्रायल कोर्ट/ड्यूटी मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के लिए ज़मानत बॉन्ड भरने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता किसी गवाह को धमकाता है या प्रभावित करता है, तो राज्य के पास याचिकाकर्ता को दी गई वर्तमान नियमित जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा।

    उपरोक्त शर्तों के तहत याचिका का निपटारा किया गया।

    केस टाइटल: दिनेश बनाम हरियाणा राज्य

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:





    Next Story