पॉक्सो एक्ट जमानत देने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं लगाता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Brij Nandan

15 Aug 2022 8:54 AM GMT

  • हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने हाल ही में देखा कि पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act), जो नाबालिगों के साथ यौन संबंधों को दंडित करता है, जमानत देने के लिए कोई विशेष प्रतिबंध नहीं लगाता है।

    जस्टिस सत्येन वैद्य ने टिप्पणी की,

    "पॉक्सो अधिनियम के तहत किए गए अपराध (अपराधों) में जमानत देने के लिए कोई विशेष प्रतिबंध नहीं लगाता है। बल्कि, इसकी धारा 31 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान करती है जिसमें जमानत के प्रावधान और उसमें कार्यवाही के लिए लागू बांड शामिल हैं।"

    यह टिप्पणी याचिकाकर्ता और एक 16 साल की लड़की के बीच यौन संबंधों के खिलाफ एक मामले की पृष्ठभूमि में आई है। गौरतलब है कि पीड़िता ने बल प्रयोग या छल या इसी तरह के किसी अन्य माध्यम की शिकायत नहीं की थी।

    इस पृष्ठभूमि में, हाईकोर्ट ने नोट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो अपराधों में जमानत देने के लिए प्रासंगिक विचार के रूप में 'प्रेम संबंध' को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, अधिनियम स्वयं जमानत देने पर कोई कठोरता निर्धारित नहीं करता है, सिवाय इसके कि सीआरपीसी में उल्लेख किया गया है।

    याचिकाकर्ता पर IPC की धारा 363, 366A, 376 और POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था और उसने जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अप्रैल 2022 से हिरासत में है, मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में समय लगने वाला है और याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं। इस प्रकार यह देखा गया कि "प्री-ट्रायल कैद" नियम नहीं है और चूंकि याचिकाकर्ता को कोई पिछला आपराधिक इतिहास नहीं बताया गया है, इसलिए वह शर्तों के साथ जमानत का हकदार है।

    केस टाइटल: प्रताप बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

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