सुप्रीम कोर्ट में याचिका, "COVID योग प्रोटोकॉल" बनाने और टीवी पर प्रसा‌रित करने की मांग

LiveLaw News Network

7 July 2020 5:23 PM IST

  • National Uniform Public Holiday Policy

    Supreme Court of India

    सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्रीय आयुष मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह, मधुमेह, बुखार, संक्रमण, हृदय संबंधी, श्वसन और पाचन संबंधी अधिकांश सामान्य बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कस्टमाइज्‍़ड योग प्रोटोकॉल के अलावा, लोगों में COVID प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए मानका योग प्रोटोकॉल विकसित करे।

    भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में, आम जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय को "COVID योग प्रोटोकॉल" के साथ-साथ अन्य कस्टमाइज्‍़ड योग प्रोटोकॉल को प्रसारित करने का ‌निर्देश देने की मांग की गई है।

    नियमित योग के विभिन्न शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए, याचिकाकर्ता ने एडवोकेट अश्वनी दुबे के माध्यम से दलीद दी है,

    "अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 39, 41, 46, 47 और 51 ए के साथ पढें, राज्य पर यह जिम्‍मेदारी डालता है कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार लाए और इस संबंध में सूचना निर्देश प्रशिक्षण पर्यवेक्षण प्रदान करे। राज्य को सभी नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर परिस्थितियों का निर्माण और उन्हें बनाए रखना सुनिश्चित करना चाहिए।"

    इस पृष्ठभूमि में यह दावा किया गया है कि लोगों को स्वास्थ्य-खतरों, स्वास्थ्य-स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में जागरूक करने, योग विज्ञान को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए सरकार को एक 'राष्ट्रीय योग नीति' तैयार करनी चाहिए।

    याचिकाकर्ता ने उन परिस्थितियों के निर्माण पर भी जोर दिया है जो बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्‍यक हैं। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के लिए 'पर्यावरण, स्वास्थ्य और योग विज्ञान' पर मानक पाठ्यपुस्तकों को विकसित करने और पूरे देश में इसके अध्ययन को अनिवार्य बनाने के लिए दिशा-निर्देश की मांग की है।

    य‌ाचिका में कहा गया है, "एमएचआरडी की 31 मई 2010 की अधिसूचना में कहा गया था कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 आरटीई 2009 की धारा 7 (6) के तहत राष्ट्रीय पाठ्यक्रम होगी। एनसीएफ 2005 विशेष रूप से कहता है कि योग प्राथमिक शिक्षा का एक मुख्य और अनिवार्य विषय है। इसे अन्य विषयों के साथ समान दर्जा दिया जाना चाहिए और अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। यह बताना आवश्यक है कि NCERT प्राइमरी और जूनियर वर्गों के लिए सभी विषयों का पाठ्यक्रम बनाता है, इसलिए इसे कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के लिए 'पर्यावरण, स्वास्थ्य और योग विज्ञान' पर मानक पाठ्यपुस्तकों का का निर्माण करना चाहिए।"

    इस राहत की व्यवहार्यता की चर्चा करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि प्राथमिक कक्षाओं में योग सिखाने के लिए समर्पित योग शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है। यह 'प्रोजेक्टर या स्मार्ट बोर्ड' के माध्यम से और यहां तक ​​कि मौजूदा शिक्षकों द्वारा उन्हें योग प्रशिक्षण प्रदान करके किया जा सकता है।

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